5 अगस्त 2019 को बीजेपी सरकार ने जम्मू व कश्मीर से धारा 370 पूरी तरह खत्म कर दी। यह जम्मू व कश्मीर राज्य में रहने वालो लोगो को विशेषाधिकार देती थी। धारा 370 के हटते ही लोगो से उनके विशेष अधिकार छिन गए। ठीक एक साल बाद इसी दिन 5 अगस्त 2020 को सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी। धारा 370 के खत्म होने के ऐलान से ही पुरे देश में हलचल मच गयी थी। सरकार पर कई सवाल भी उठाए गए थे। इस बार खुद को सवालों से बचाने के लिए सरकार ने रामभूमि के निर्माण को आगे रख दिया। सरकार अपने इस मास्टरस्ट्रोक में कामयाब भी रही। कई दिनों तक लोगो का ध्यान मंदिर निर्माण की तरफ ही रहा।
370 के हटाने से किए थे विकास के वादे
सरकार के अनुसार धारा 370 के हटने से जम्मू –कश्मीर में विकास होगा। रोज़गार के समान अवसर मिलेंगे। देश के अन्य राज्यों की तरह जम्मू व कश्मीर को भी समान अधिकार मिलेगा। अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी होगी। वह देश के अन्य राज्यों से जुड़ पाएगा। कश्मीरी पंडित अपने घर वापस आ पाएंगे। ऐसे कई वादे सरकार ने धारा 370 को हटाते वक़्त किए थे। जिसमे से अभी तक कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ है। बल्कि लोगो के लिए मुश्किलें पहले से भी ज़्यादा बढ़ गयी है। धारा 370 के हटाते ही सरकार ने राज्य में लॉकडाउन लागू कर दिया। इसमें लोग न तो घर से बाहर निकल सकते थे , न ही अपना कोई दूसरा काम कर सकते थे। लोग बस अपने घरों में नज़रबंद होकर रह गए।
इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं कर दी गयी बंद
जम्मू –कश्मीर में लॉकडाउन लगते ही सरकार ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी। एनडीटीवी की 27 नवंबर 2019 कि रिपोर्ट में जम्मू –कश्मीर प्रशासन का कहना है कि इंटरेरनेट सेवाएं सुरक्षा को देखते हुए बंद की गयी । ‘सोशल मीडिया के ज़रिए आतंकवादी व पकिस्तान की सेना लोगो को जिहाद के नाम पर भड़काने की कोशिश कर सकती है‘ प्रशसन ने यह कहकर अपना बचाव करती है। प्रशासन का कहना है कि सेवाओं के बंद होने से किसी को भी हानि नहीं पहुंची। सब सुरक्षित है। लेकिन सुरक्षा के नाम पर लोगो से उनके मूल अधिकारों को छीनना सही नहीं है। जब संविधान हर एक व्यक्ति को स्वतंत्रता से बात करने की इज़ाज़त देती है तो सरकार का इसमें मनाही करना किसी भी सूरत में गलत है। जहां तक बात रही लोगो को बड़काने की तो यह काम करने के और भी तरीके है। इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं को बंद करने से इसे रोका नहीं जा सकता।
इंटरनेट स्पीड कम होने से हो रही है परेशानियां
लॉकडाउन के बाद लोग अपना सारा काम लोग इंटरनेट से ही कर रहे है। लेकिन जम्मू –कश्मीर के लोगो के पास इंटरनेट की भी सुविधा नहीं। लॉकडाउन के तीन महीनो बाद सरकार ने राजय में 2G नेट लोगो को उपलब्ध कराया। 2 जी नेट की स्पीड में इंटरनेट का चल पाना मुश्किल है। द ट्रिब्यून की 3 अगस्त 2020 की रिपोर्ट कहती है कि कश्मीर के बच्चे एक साल से स्कूल नहीं गए। पहले तो धारा 370 की वजह से फिर पूरे देश में लॉकडाउन लगने की वजह से। बच्चे पढ़ाई के लिए इंटरनेट सेवाएं भी इस्तेमाल नहीं कर सकते। जहां सरकार द्वारा बच्चो को अच्छी शिक्षा के वादे किए गए थे वहां बच्चे एक साल से स्कूल ही नहीं गए। हिंदुस्तान टाइम्स की 24 जुलाई 2020 की रिपोर्ट के अनुसार एक एनजीओ ने जम्मू–कश्मीर प्रशासन को राज्य में 4G इंटरनेट सेवाओं को फिर से लागू करवाने को कहा। बिना 4G सेवाओं के डॉक्टर्स और साधारण जनता हर प्रकार जी जानकारी से दूर हो गयी है। स्वास्थ्य अधिकारी व मीडिया कर्मी कोविड-19 और अन्य जानकारियां नहीं ले पा रहे हैं। अगर जल्द से जल्द सरकार राज्य में 4G सेवाएं शुरू नहीं करती तो राज्य में मुश्किलें और भी बढ़ती जाएंगी।
अर्थव्यवस्था और टूरिज्म में होती कमी
जम्मू –कश्मीर के लोगो की जीविका और उनकी अर्थव्यवस्था उनके टूरिज्म से जुडी है। द वायर कि 18 दिसम्बर 2019 की रिपोर्ट बताती है कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था को अगस्त 2019 से लेकर दिसम्बर 2019 तक 17,878 करोड रुपयों का नुकसान हुआ है। लॉकडाउन की वजह से यात्री घूमने नहीं आ सकते। यात्रियों के न होने का मतलब है आय के साधन के न होने का। जहां सरकार ने एक तरफ 370 हटाते वक़्त अधिक टूरिज्म की बात कहि थी, वहीं आज राज्य का टूरिज्म पूरी तरह बंद हो चुका है। स्क्रॉल इन कि 29 जनवरी 2020 की रिपोर्ट के अनुसार में कश्मीर टूरिज्म में 86 प्रतिशत की गिरावट हुई है। साथ ही 370 के हटने से 5 अगस्त 2019 से अभी तक 144,500 लोग टूरिज्म और हैंडीक्राफ्ट्स में अपनी नौकरियां खो चुके है।
धारा 370 के हटते ही लद्दाख बना केंद्र -शासित प्रदेश
धारा 370 के हटाने के बाद लद्दाख को केंद्र –शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया। जम्मू –कश्मीर से अलग होने की ख़ुशी में 15 अगस्त 2019 को लद्दाख ने अपना पहला स्वतंत्रता दिवस बनाया। लोगो को लगा की लद्दाख के केंद्र –शासित प्रदेश बन जाने से सरकार उन पर अब ज़्यादा ध्यान देगी। आउटलुक की 15 अगस्त 2019 की रिपोर्ट में जिगमत पिलजोर कहते है की उन्हें लगा की लद्दाख के केंद –शासित प्रदेश बनने से उनके यहां लोगो को नौकरियां मिलेंगी , युवाओ को रोज़गार के अवसर मिलेंगे , पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। राज्य जैसे पहले था , वैसा अब भी है। उसमें कोई बदलाव नहीं आया है।
सरकार ने कहा था कि धारा 370 के हटने से राज्य सभी राज्यों की तरह हो जाएगा। असल में जम्मू –कश्मीर तो नजबंद होकर रह गया। टूरिज्म को बढ़ाने के लिए कहा गया था जो की अब पूरी तरह खत्म हो चुका है। सरकार रोज़गार के अवसर पैदा करने वाले थी और जो रोज़गार था वह भी सरकार ने उनसे छीन लिया। आज एक साल के बाद भी जम्मू –कश्मीर के लोग अपना जीवन नज़रबंदी और बेरोज़गारी में जी रहे है। आज़ादी से बाहर निकलने का इंतज़ार कर रहे है। सरकार के वादों के पूरा होने की राह देख रहे है और उन से कुछ नहीं हो रहा। लोगो की हालत धारा 370 के खत्म होने के बाद और भी खराब हो गयी है।