दुलरिया बताती हैं कि जब कनेक्शन लिया गया था तो उन्हें यह बताया गया था कि यह मुफ्त होगा, लेकिन अब बिल आना शुरू हो गया है। वे कहती हैं, “हम गरीब लोग हैं, हमें दो बल्ब जलाने के लिए बिजली चाहिए थी। हम तो मिट्टी का तेल जलाकर काम चला लेते थे, लेकिन अब तो वह भी नहीं मिल रहा है। अब बिजली भी कट दी गई है, और हमें अंधेरे में गुजारा करना पड़ रहा है।”
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – सुचित्रा
सौभाग्य योजना या प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना की शुरुआत ऐसे तो घरों को बिजली प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा चलाई गई थी। इस परियोजना की घोषणा सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। इस योजना का उद्देश्य देश में ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों और परिवारों को बिजली कनेक्शन देना है, पर क्या ये योजना अपना उद्देश्य पूरा करने में सफल रही है? क्या सच में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुँच पाई है? क्या सच में लोगों के घरों में लगे बल्ब रौशनी से जगमगा रहे हैं? क्या सच में अब उन्हें अंधेरे में रहना नहीं पड़ रहा है? तो चलिए इस सौभाग्य योजना के सच को जानते हैं जिसकी सच्चाई हमें उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से पता चलती है।
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मऊ ब्लॉक के डोडिया माफी मजरा छतैनी गांव में पिछले 5 दिनों से बिजली का संकट छाया हुआ है। इस गांव में आदिवासी जाति के लोग रहते हैं। पूरा गांव अंधेरे में रहने को मजबूर है, क्योंकि गांव के सभी बिजली कनेक्शन काट दिए गए हैं। यहां सौभाग्य योजना से बिजली का कनेक्शन हुआ है। अब बिजली कटने के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास न तो लाइट जलाने के लिए पैसा है, और न ही कोई अन्य साधन हैं।
बिजली बिल की भारी रकम भरने में असमर्थ ग्रामीण
यहां के लोग बताते हैं कि जब गांव में बिजली कनेक्शन लगे थे, तो अधिकारियों ने उन्हें यह बताया था कि यह कनेक्शन फ्री रहेगा। न ही किसी प्रकार का बिल लिया जाएगा। लेकिन अब अचानक बिजली विभाग ने उन्हें भारी बिल भेजना शुरू कर दिया है। किसी का बिल 10,000 रुपये, किसी का 20,000 रुपये और किसी का 30,000 रुपये आया है, जो उनके लिए भारी संकट बन चुका है।
अरुण, एक अन्य ग्रामीण, का कहना है कि उनके पास इतनी रकम नहीं है कि वे यह भारी बिजली बिल चुका सकें। वे कहते हैं, “हम मजदूरी करने वाले लोग हैं, कहां से इतने पैसे लाएं कि यह बिल भर सकें। पहले गांव में बिजली आती थी, तो फोन भी चार्ज कर लेते थे, लेकिन अब फोन भी बंद हो गया है क्योंकि बिजली नहीं है।”
दुलरिया बताती हैं कि जब कनेक्शन लिया गया था तो उन्हें यह बताया गया था कि यह मुफ्त होगा, लेकिन अब बिल आना शुरू हो गया है। वे कहती हैं, “हम गरीब लोग हैं, हमें दो बल्ब जलाने के लिए बिजली चाहिए थी। हम तो मिट्टी का तेल जलाकर काम चला लेते थे, लेकिन अब तो वह भी नहीं मिल रहा है। अब बिजली भी कट दी गई है, और हमें अंधेरे में गुजारा करना पड़ रहा है।”
संपत लाल बताते हैं कि उनका बिजली बिल 30,000 रुपये आया है, जबकि उनके घर में बहुत कम बिजली का उपयोग होता है।
बिजली कटने से लोग परेशान
संपत लाल कहते हैं, “हमारे गांव में लगभग 1000 लोग हैं, और 95 घरों का कनेक्शन काट दिया गया है। अब हम लोग अंधेरे में रहते हैं। खाना बनाना और बच्चों को पढ़ाना बहुत मुश्किल हो गया है। सबसे बड़ी समस्या मच्छरों की है, जो बीमारी फैलाने का कारण बन रहे हैं।”
फोन नेटवर्क पर भी असर
गांव में जिओ का टावर लगा हुआ है, लेकिन बिजली की कमी के कारण अब नेटवर्क भी सही से काम नहीं कर रहा है। लोग कहते हैं कि जब बिजली थी, तो नेटवर्क अच्छा आता था, लेकिन अब टावर भी बंद हो गया है, जिससे फोन का नेटवर्क नहीं मिल रहा है। जिनके पास सिम हैं, वे भी फोन नहीं कर पा रहे हैं, जिससे दूर दराज में रह रहे उनके परिवारों से संपर्क करना मुश्किल हो गया है।
बिजली विभाग का कहना – बिल करना होगा जमा
बिजली विभाग के एसडीओ शिवम् गुप्ता का कहना है कि गांव में बिजली कनेक्शन हैं, लेकिन एक भी कनेक्शन का बिल नहीं जमा हुआ है। उनका कहना है, “गांव में कनेक्शन फ्री नहीं थे, यह सिर्फ कनेक्शन जुड़वाने का शुल्क था। बिजली बिल हर महीने जमा करना होगा, तभी कनेक्शन चालू रहेगा।” वे यह भी कहते हैं कि लोगों को बिजली कनेक्शन के लिए हर महीने बिल भरना होगा, जैसा कि सौभाग्य योजना के तहत दिया गया था।
चित्रकूट जिले के इस गांव में बिजली का संकट केवल एक तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि गरीब ग्रामीणों के लिए जीवनयापन का गंभीर मुद्दा बन चुका है। बिजली न होने से उनके जीवन में कई समस्याएं पैदा हो गई हैं, जिनमें सबसे बड़ी समस्या अंधेरे में जीने और बिल की भारी रकम चुकाने की है। इस संकट को हल करने के लिए सरकारी विभाग को लोगों की स्थिति को समझते हुए समाधान निकालने की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके।
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