बांदा जिले जहा एक तरफ गौरक्षा के नाम पर कागजो में सकडों गौशला करोडो रुपेए लागत कि बनी दिखा कर सरकारी धन का बंदरबाट किया गया और गौमाता उसी तरह मारी ढकले फिरती रही कही रोड मे आ कर गडी के निचे तो कही ईन्ही गौशाला मे प्यास और भुख से तडप कर और अगर ऐसी खबरो को मीडिया उजागर करता है तो कही न कही उनके ऊपर भी दबाव बनाया जाता है| जिससे गौ कि पुजा करने वाली सरकार कि बदनामी न हो| वही ये भी एक उदाहरण है कि किस तरह गौव और धर्म के बढावा को लेकर बदौसा कस्बे में रहने वाले सत्यम तिवारी गौभागवत कथा सुन रहे हैं क्या इस कथा से गौ रक्षा होगी और उनका पेट भरे गा जो कहते हैं कि उन्होंने अपनी सात बीधे जमीन में ये गौशाला निर्माण कराया है|जिसमे लगभग 15 सौ गौ रहे सकती हैं| वह भी जब किसानो कि फसल कट चुकी है और अब गौ खुले म धुम कर ठीक से रहे सकती है|