जिला सतना, ब्लाक मझगवां, गांव बटोही। यहां 4 पीढ़ी से अनपढ़ रह गए थे लोग,अब चार पीढ़ी बाद आदिवासी बच्चों को मिला शिक्षा का अधिकार
यहां कोई स्कूल नहीं था छह महीना पहिले डी एम एक बनने का आदेश दिये और पर अभी तक स्कूल नही बनी है। वहां के बच्चे छप्पर के नीचे बैठ के पढाई करते हैं। बरसात के सीजन मे बैठ नही पाते है न कुछ व्यवस्था है बच्चो के मां बाप लकड़ी बेंचकर गुजारा करते हैं। इतना पैसा नही है कि दूसरी जगह बच्चो को पढ़ायें। बटोही से पांच किलो मीटर दूरी पर स्कूल है दूसरी जगह बच्चे पढ़ने नही जा सकते। लगभग सौ घर की बस्ती है
जिसमे आदिवासी लोग रहते हैं। रोज का कमाते है तो घर मे खाने के लिए होता है। रामभवन का कहना है कि हम लोग अनपढ़ हैं कहीं कोई जरुरत हो तो हम दस्तखत नहीं कर पाते। इसी तरह चार पीढ़ी बीत गई। लेकिन अभी तक शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पाया
वहां की महिलाओं ने बताया कि कम से कम हम नहीं पढ़ पाए हमारे बच्चे तो शिक्षित हो जाये। यही हमारे लिए बहुत है। स्कूल थोड़ा दूर है जंगली इलाका है तो हम लोग खुद बच्चों को छोड़ने और ले जाने आते हैं। वहाँ के मास्टर का कहना है की हम लोग भी अधिकारियों को सूचना दे चुके हैं। यहाँ स्कूल बन जाये तो बच्चो को बैठने के लिए ठीक हो जाये, पर कोई ध्यान नही देते है इस समय ठंड का मौसम हैबाँदा: वनांगना संस्था के एक दिवसीय शिक्षा साक्षरता मेले का लीजिए आनंद
बच्चे इसी छप्पर के नीचे पढ़ाई करते हैं जिससे परेशानी होती है इतनी ठण्ड में किसी बच्चों को ठण्ड लग जाये तो अलग दिक्कत हो सकती है। सतना जिला के जिला शिक्षा अधिकारी वीपी सिंह का कहना है कि अभी स्कूल बनने के लिए स्कूल के जगह ढूढी जा रही है जैसे जमीन मिल जाती है तो स्कूल बनने के लिए चालू करवा दूंगा, लगभग 13 लाख का बजट भी पास हो गया है। और अगर विद्यालय में बच्चों को अभी ड्रेस या कॉपी किताब नहीं मिला है तो हम जांच कराएँगे। बच्चों को तत्काल ड्रेस और किताब दी जायेगी।