द कविता शो एपिशोड 71
15 जनवरी 2019 को बाँदा जिले के नरैनी ब्लाक के शबाजपुर से सती होने की अफवाह आग की तरह फैला दी गई थी।
सती के नाम पर अफवाह फैलते ही यूपी और एमपी के लोग सुबह से घर का काम काज छोड़ कर सती को देखने के लिए उमड़ आये।
शहबाजपुर गाँव में जहा तक हमारी नजर दोड़ती सिर्फ और सिर्फ जनता ही दिखाई दे रही थी।
लोगों ने हमें बताया की सहबाज पुर गाँव में अस्सी साल के एक बुजुर्ग की रात में मौत हो गई उसकी पत्नी ने पति की मृत्यु हो जाने पर खुद को भी अग्नि के हवाले करने का फैसला लिया था। जब उसके लडको को ये बात पता चली तो गाँव के व्यक्ति जो पेशे से वकील हैं, ने प्रधान को बात बताई की हमारी माँ सती होना चाहती है।
सुचना मिलते ही मौके पर पुलिस फोर्स भी पहुंची और भीड़ को काबू में किया 75 साल की महिला जो सती होना चाहती थी। उनको घर के कमरे में ताला लगा कर बंद कर दिया गया था।
हालाँकि लोगों ने यह भी बताया की महिला को सती होने के लिए नई साडी और श्र्गार का सारा सामान ला कर दिया गया था। बुन्देल खंड में ये पहला मामला नहीं है हर दो चार साल के बाद कुछ न कुछ इस तरह की अफवाह फैलती रहती हैं।
2004 में बाँदा के बहुन्दरी गाँव में एक बुजुर्ग की मौत हो जाने पर ये अफवाह फैलाई गई की एक महिला सती हो रही है। बुन्देल खंड के आसपास के जिलो की भीड़ उस महिला को देखने के लिए आई थी।
बाँदा के जारी गाँव में 80 की दशक में एक महिला को चिता में जलाने के लिए मजबूर किया गया और आज भी वहां पर सती का मन्दिर है।
कानून बनने के बाद भी जारी गाँव में पूजा होती है, मेला लगता है चित्रकूट में सती अनुसुईया के नाम पर बहुत बड़ा मन्दिर बना है। जहा पर देश के कोने-कोने से लोग आते है।
मैं नहीं मानती की महिलाएं सती होतो हैं महिलाओं जानबूझ कर चिता में जलाया जाता है और अब तो बुजुर्ग महिलाओं को सती का नाम दे कर जला दिया जाता है। लोग क्यों नहीं समझना चाहते हैं की एक ज़िंदा महिला को आग में जलाना अपराध है।
सती प्रथा के खिलाफ कानून भी बना है, लेकिन फिर जनता बैखोफ हो कर एक जलती ज़िंदा महिला को जलाने का पक्ष देने के लिए दोड़ती चली आती है। प्रशासन अगर ऐसी भीड़ को पकड़ कर जेल भेजे पर और सती की अफवाह फैलाने वालो पर कानूनी कार्यवाही करें तो कोइ भी अफवाह सुनकर लोग इस तरह इकठ्ठा नहीं होंगे।