केन, यमुना और बागे जैसी बुंदेलखंड की तमाम छोटी बड़ी नदियां से बालू निकालने के लिए पोकलैंड मशीनों का इस्तेमाल जारी है, जिससे न केवल नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ रहा है, बल्कि नदियों और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का भी कोई ठोस आंकलन नहीं किया जा रहा। इस बीच, खदान माफिया और दलालों का खेल जारी है, और वे इस खनन से भारी मुनाफा कमा रहे हैं। यह स्पष्ट है कि प्रशासन सिर्फ कार्यवाही का नाटक कर रहा है, लेकिन असल में कोई सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे।
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