खबर लहरिया Blog Sanchar Sathi: अब हर किसी के फ़ोन पर होगा संचार साथी ऐप, नियम न मानने पर होगी कार्यवाही 

Sanchar Sathi: अब हर किसी के फ़ोन पर होगा संचार साथी ऐप, नियम न मानने पर होगी कार्यवाही 

 

दूरसंचार मंत्रालय ने सभी मोबाइल कंपनियों को आदेश दिया है कि वे अपने नए फोन में सरकार का साइबर सुरक्षा ऐप संचार साथी पहले से इंस्टॉल करके बेचें। कंपनियों को इसके लिए 90 दिन का समय दिया गया है।

फोटो साभार: राष्ट्रीय सरकारी सवाएं पोर्टल

भारत में अब हर नया मोबाइल फोन एक बड़े बदलाव के साथ आएगा। दूरसंचार मंत्रालय ने एप्पल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो समेत सभी कंपनियों को आदेश दिया है कि वे अपने नए फोन में सरकार का साइबर सुरक्षा ऐप संचार साथी पहले से इंस्टॉल करके बेचें। कंपनियों को इसके लिए 90 दिन का समय दिया गया है। यह ऐप फोन पर दिखता रहेगा और इसे हटाया या बंद नहीं किया जा सकेगा। दूरसंचार विभाग (DoT) के अनुसार यह ऐप साइबर अपराध, धोखाधड़ी, फर्जी सिम और नकली मोबाइल की पहचान करने में मदद करता है।

सरकार का कहना है कि जो फोन पहले बिक चुके हैं उन पर भी यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए पहुंचाया जाएगा। निर्देश में साफ लिखा है कि नियम न मानने पर कंपनियों पर दूरसंचार अधिनियम 2023 और साइबर सुरक्षा नियम 2024 के तहत कार्रवाई की जाएगी। सरकार का यह कदम लोगों को सुरक्षित डिजिटल माहौल देने और फोन से होने वाले धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए उठाया गया है। दूसरी ओर इस संचार साथी ऐप को असंवैधानिक भी बताया जा रहा है।

क्या है संचार साथी ऐप 

संचार साथी एक साइबर सुरक्षा ऐप है जिसे लोगों के मोबाइल फोन और पहचान की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। यह 2023 में वेब पोर्टल के रूप में शुरू हुआ था और जनवरी 2025 में इसे मोबाइल ऐप का रूप दिया गया। यह ऐप एंड्रॉयड और iOS दोनों पर मुफ्त में उपलब्ध है और सीधे सरकार की टेलीकॉम सिक्योरिटी प्रणाली (CEIR) से जुड़ा है जहां देश के हर फोन का IMEI नंबर दर्ज रहता है। इसकी मदद से फोन की सुरक्षा जांचना, पहचान के दुरुपयोग को रोकना और डिजिटल ठगी की स्थिति में तुरंत सहायता पाना आसान हो जाता है। कुल मिलाकर संचार साथी आम नागरिकों के लिए फोन और उससे जुड़ी जानकारी की सुरक्षा का एक सरल और भरोसेमंद बताया जा रहा है। 

संचार साथी क्या करता है? 

संचार साथी एक ऐसा ऐप और पोर्टल है जिसे लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने और मोबाइल सुरक्षा को बेहतर करने के लिए बनाया गया है। इस प्लेफॉर्म की मदद से कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल से जुड़े कई जरूरी काम आसानी से कर सकता है। जैसे फोन के IMEI नंबर से यह पता लगाना कि मोबाइल असली है या नकली, किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज की शिकायत करना, खोए या चोरी हुए फोन की रिपोर्ट देना और अपने नाम पर चल रहे सभी मोबाइल नंबर देखना। इसके अलावा यूज़र्स भरोसेमंद बैंक और वित्तीय संस्थानों की सही संपर्क जानकारी भी यहां से प्राप्त कर सकते हैं। संचार साथी को टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी (TCS) नियमों का समर्थन प्राप्त है जिसके तहत सरकार मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को IMEI से जुड़े सुरक्षा नियमों का पालन करने का निर्देश दे सकती है। कुल मिलाकर यह पहल आम लोगों को सुरक्षित मोबाइल उपयोग का आसान तरीका देती है।

क्या है IMEI (आईएमईआई) नंबर?  

हर मोबाइल हैंडसेट में एक 14 से 17 अंकों की विशिष्ट संख्या होती है जिसे अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (आईएमईआई) कहा जाता है। यह नंबर किसी भी फ़ोन की यूनिक पहचान है और चोरी की स्थिति में उस फ़ोन की नेटवर्क पहुंच बंद करने और लोकेशन ट्रैकिंग जैसे उपायों में उपयोग किया जाता है। 

संचार साथी ऐप को बताया गया असंवैधानिक 

कांग्रेस ने नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को पहले से इंस्टॉल करने के सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताया है और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। एनडीटीवी की खबर अनुसार कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि लोगों की निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनके अनुसार किसी सरकारी ऐप को फोन में पहले से डाल देना और उसे हटाने की अनुमति न देना ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा ऐप नागरिकों की हर गतिविधि बातचीत और फैसले पर नज़र रखने का तरीका बन सकता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

​​महाराष्ट्र सरकार में पूर्व मंत्री और शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे सरकार के इस फैसले को बिना अघोषित तानाशाही कहा है। 

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा “बिग ब्रदर हमारे फ़ोन और हमारी पूरी निजी ज़िंदगी पर कब्ज़ा कर लेगा। यह पेगासस++ है।”

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार केंद्रीय संचार मंत्री ने ज्योतिरादित्य सिंधिया कहा है कि “अगर यूज़र्स अपने अपने मोबाइल में संचार साथी ऐप नहीं चाहते तो उसे हटा सकते हैं। यह वैकल्पिक है। हर किसी को ऐप से परिचित कराना हमारा कर्तव्य है। इसे अपने डिवाइस में रखना है या नहीं यह यूज़र्स पर निर्भर करता है।”

 

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