पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक शहर में तनाव उस समय बढ़ा जब एक भीड़ ने सर्वे टीम और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया, जिससे 36 पुलिसकर्मी घायल हो गए। कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया। यूपी पुलिस ने इस बात से साफ़ इंकार किया कि उनके द्वारा स्थिति को काबू में करने के लिए गोलीबारी का इस्तेमाल किया गया है।
उत्तर प्रदेश के संभल में रविवार, 24 नवंबर को हिंसक झड़पों में मरने वालों की संख्या अब पांच हो गई है। कई लोगों के घायल होने की भी खबर है जिसमें 20 से अधिक पुलिसकर्मी शामिल हैं। यह तब हुआ जब सर्वे करने वाली टीम चंदौसी शहर पहुंची, ताकि शाही जमाल मस्जिद का दूसरा सर्वे किया जा सके।
संभल हिंसा में 5 लोगों की मौत!
जानकारी के अनुसार, रविवार रात मुज़फ्फरनगर में इलाज के दौरान दो और लोगों की मौत हो गई। द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, इनका नाम मोहम्मद कैफ और मोहम्मद अयान है।
मकतूब मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अन्य तीन मृतकों की पहचान नईम (28), मोहम्मद बिलाल अंसारी (25) आयान और मोहम्मद कैफ (17) के रूप में की गई।
मृतकों के परिवार ने उनकी मौत को हत्या का नाम दिया है कि पुलिस वालों द्वारा फायरिंग में उनकी हत्या की गई है।
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक शहर में तनाव उस समय बढ़ा जब एक भीड़ ने सर्वे टीम और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया, जिससे 36 पुलिसकर्मी घायल हो गए। कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया। यूपी पुलिस ने इस बात से साफ़ इंकार किया कि उनके द्वारा स्थिति को काबू में करने के लिए गोलीबारी का इस्तेमाल किया गया है।
बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक
इस बीच, संभल के जिला प्रशासन ने 30 नवंबर तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।
बता दें, यह आदेश भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत जारी किया गया है, जिसके बारे में जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने रविवार रात को बताया था।
यह भी बताया गया कि जो भी आदेश का उल्लंघ करेगा, उसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा उचित रूप से जारी आदेश की अवज्ञा) के तहत सजा दी जाएगी।
इसके साथ ही मुरादाबाद के उप पुलिस निरीक्षक मुनीराज ने सोमवार को पत्रकारों से कहा कि नईम, बिलाल और नोमेन — वे तीन लोग जो रविवार की हिंसा में मारे गए थे, उन्हें दफ़नाया जा चुका है।
संभल में इंटरनेट सेवा बंद
रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंसा को रोकने के लिए जिले भी में सेवाएं बंद कर दी गई हैं। प्रशासन ने नागरिकों से कहा है कि वे अपने घर की छतों पर पत्थर,सोडा की बोतलें या ऐसी कोई भी चीज़ जिसे फेंकने से किसी को नुकसान पहुंचाया जा सकता है, रखने से मना किया है।
जो आदेश का पालन नहीं करेगा, उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की घोषणा की गई है। इसके साथ ही नगरपालिका के अधिकारियों को सार्वजनिक स्थानों से निर्माण सामग्री हटाने का भी निर्देश दिया गया है।
प्रशासन द्वारा आज 25 नवंबर को 12वीं कक्षा की छुट्टी भी घोषित की हुई है।
संभल में हिंसा भड़कने की वजह
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार को जिले में हिंसा तब भड़की जब लोग जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर विरोध कर रहे थे और इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा कर्मियों के बीच झड़प हो गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग के हवाले कर दिया और पुलिस पर पथराव किया। वहीं सुरक्षा कर्मियों ने आंसू गैस और लाठियों का इस्तेमाल करके भीड़ को तितर-बितर किया।
मुरादाबाद के डिवीजनल कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने रविवार को बताया, “अपराधियों ने गोलीबारी की… पुलिस अधीक्षक के पीआरओ को पैर में गोली लगी, सर्कल अफसर को गोली लगी और 15 से 20 सुरक्षा कर्मी हिंसा में घायल हो गए। एक कांस्टेबल को गंभीर सिर में चोट लगी, जबकि उप-कलेक्टर के पैर में चोट आई।”
संभल हिंसा में हिरासत में लिए गए लोग
मुरादाबाद के डिवीजनल कमिश्नर ने बताया कि अब तक 21 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं, और जांच शुरू कर दी गई है। हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी।
संभल में हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 19 नवंबर को एक स्थानीय अदालत द्वारा सर्वे का आदेश दिया गया था। यह आदेश एक याचिका के बाद आया जिसमें यह दावा किया गया था कि 1526 में मस्जिद बनाने के लिए हरिहर मंदिर को तोड़ा गया था। यह आदेश संभल के चंदौसी स्थित सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह ने दिया था।
रविवार को समस्या उस समय शुरू हुई जब एक बड़ी भीड़ मस्जिद के पास इकट्ठी हो गई और सर्वे टीम के काम शुरू होते ही नारेबाजी करने लगी।
जिले के अधिकारियों ने बताया कि सर्वे मंगलवार को पूरा नहीं हो सका था और इसे रविवार को आयोजित करने की योजना बनाई गई थी ताकि दोपहर की नमाज के दौरान कोई रुकावट न हो।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन, जो मामले में याचिकाकर्ता भी हैं, उन्होंने पहले कहा था कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) ने मस्जिद का सर्वे करने के लिए एक “वकील आयोग” गठित करने का आदेश दिया था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, याचिका मंगलवार दोपहर को दायर की गई थी, और कुछ ही घंटों में जज ने एक वकील आयोग नियुक्त किया और उन्हें मस्जिद का सर्वे करने का निर्देश दिया, जो उसी दिन किया गया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सर्वे की रिपोर्ट 29 नवंबर तक अदालत में पेश की जाए।
चंदौसी की जामा मस्जिद के बारे में जानें
जानकारी के अनुसार, जामा मस्जिद “एक संरक्षित स्मारक” है, जिसे 22 दिसंबर 1920 को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 3, उपधारा (3) के तहत नोटिफाई किया गया था। इसे “राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है और यह आगरा सर्कल, मुरादाबाद डिवीजन की ASI (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) की वेबसाइट पर केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल है।”
संभल मामले में किसने डाली याचिका?
संभल कोर्ट में कुल आठ याचिकाकर्ताओं ने यह मामला दायर किया है। इसमें वकील हरि शंकर जैन भी शामिल हैं, जो ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ विवाद में भी वकील हैं। इनके अलावा वकील पार्थ यादव, संभल के काली देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, नोएडा के निवासी वेदपाल सिंह, संभल के निवासी राकेश कुमार, जितपाल यादव, मदनपाल और दीनानाथ में याचिका दायर की है।
हरि हर मंदिर-जामा मस्जिद को लेकर क्या कहती है याचिका?
याचिका में यह दावा किया गया है कि संभल शहर के दिल में “श्री हरि हर मंदिर” है, जो भगवान कल्की को समर्पित है, और इसे “जबरदस्ती और अवैध रूप से” जमाल मस्जिद कमिटी द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि “संभल एक ऐतिहासिक शहर है और इसका हिन्दू शास्त्रों में गहरा महत्व है, जिसके अनुसार यह एक पवित्र स्थान है।”
इसके अलावा, याचिका में यह भी कहा गया है कि बाबर ने 1526 में भारत पर आक्रमण किया और “कई हिन्दू मंदिरों को बर्बाद किया ताकि वह इस्लाम की शक्ति दिखा सके और हिन्दुओं को यह महसूस करवा सके कि वे इस्लामी शासक के अधीन हैं।”
याचिका कहती है कि “1527-28 में बाबर की सेना ने श्री हरि हर मंदिर को तोड़ा था। इसके बाद मुसलमानों ने मंदिर की इमारत पर कब्ज़ा पर वहां मस्जिद बनाया।”
संभल मामले पर सपा सांसद का बयान
जमाल मस्जिद के सर्वे पर प्रतिक्रिया देते हुए, संभल के समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा, “बाहरी लोगों ने इस तरह की याचिका कोर्ट में दायर करके जिले की साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि 1991 के पूजा कानून के अनुसार, 1947 में जो सभी धार्मिक स्थल थे, वे अपनी वर्तमान जगहों पर बने रहेंगे। संभल की जमाल मस्जिद एक ऐतिहासिक स्थल है जहाँ मुसलमान कई सदियों से नमाज अदा कर रहे हैं। अगर हमें स्थानीय अदालत से संतोषजनक आदेश नहीं मिलता, तो हमारे पास उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार है।”
वहीं, याचिकाकर्ताओं की अदालत से मांग है कि उन्हें मस्जिद/मंदिर में प्रवेश करने की इज़ाज़त दी जाए।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’