खबर लहरिया Blog बनने के छह महीने बाद ही धँस गई सड़क

बनने के छह महीने बाद ही धँस गई सड़क

बाँदा जिले के नरी गाँव से तहसील को जोड़ने वाली सड़क बनने के छह महीने बाद ही धँस गई है। लोगों के अनुसार इस सड़क में खराब मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है।

बांदा जिला के ग्राम पंचायत नरी के पास बना पुल छह महीना बाद ही जर्जर होकर धँस गया है। गांव के रहने वाले गया दीन और बृजलाल का कहना है कि यह रपटा (पुल) छह महीना पहले ही बना है। इस सड़क से दिनभर में तहसील या पास के गाँव के लोगों का आना जाना होता है। अगर बजट के हिसाब से काम हुआ होता तो यह पुल इतना जल्दी न खराब होता।

धँस गई सड़क

बजट के हिसाब से नहीं हुआ काम

बृजलाल ने यह भी बताया कि उन्हें तो नहीं पता की पीडब्ल्युडी विभाग ने इस सड़क के लिए कितना बजट पास हुआ था लेकिन हाँ इतना तो रहा ही होगा कि पुल अच्छे से बन जाये। अब ज्यों का त्यों लोगों को समस्या झेलनी पड़ रही है। सरकार तो चाहती ही है की मजबूत काम हो पर जो बीच के कर्मचारी बैठे हैं वह अपना पेट भरते हैं। और लोगों के लिए जानलेवा काम करते हैं। अगर धोखा से कोई वाहन निकला तो खतरा हो सकता है। इसके बारे में गांव वालों ने प्रधान से भी शिकायत किया पर शिकायत करने के बाद भी वहां पर गिट्टी भरा दिया गया है। लेकिन वह गिट्टी भरने से काम नहीं चलेगा। अगर चार पहिया वाहन निकला तो पूरी तरह से नीचे धंस जायेगा और दुर्घटना हो सकती है। इस मामले में प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।

कभी भी घट सकती है बड़ी दुर्घटना

गयादीन ने हमें बताया कि खतरे की जगह पर बोर्ड लगवाना चाहिए। ताकि कोई वाहन उधर से न निकले और दुर्घटना न हो। लापरवाही खुद शासन प्रशासन करती है खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है। शासन प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसा लग रहा प्रशासन तभी चेतेगा जब कोई बड़ी घटना हो जाएगी।

 

बच्चों को पता है प्रशासन की हकीकत

छोटे- छोटे बच्चों ने बताया कि दीदी सीमेंट की जगह मिट्टी भराई गई है। खानापूर्ति किया गया है। बजट के हिसाब से काम नहीं हुआ है।

क्या बाढ़ से टूटा पुल?

कुछ लोग ऐसा अनुमान लगा रहे हैं की शायद बाढ़ के कारण से रपटा(पुल) टूट गया हो। लेकिन यहाँ भी वही सवाल उठता है कि मजबूती से काम नहीं हुआ है। जहां पर 3 एक का मसाला लगाना चाहिए वहाँ 12 एक का मसाला चलाकर काम कराया गया है। इस कारण से रपटा टूट गया है। जब सरकार बजट भेजती है तो मजबूती के साथ काम होना चाहिए। अगर मजबूती से काम नहीं हुआ है इसके दोषी ठेकेदार और जेई हैं।जिसमें जेई और ठेकेदारों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए और ये आदेश होना चाहिए कि दोबारा से इस रपटा की मरम्मत कराई जाए।

रामा देवी और रानी देवी का कहना है कि त्योहारों का महीना है। पैदल रास्ते से जाओ तो बच्चे इधर-उधर भागते रहते हैं। जिसको नहीं पता है वो क्या करेगा। यहाँ बोर्ड लगाना चाहिए।

पैलानी ठेकेदार अमर सिंह ने हमें बताया कि यह रपटा 3 साल से बन रहा था और मजबूती के साथ बना है। बाढ़ के कारण मिट्टी नीचे धंस गई है। 5 साल की सिक्योरिटी जमा रहती है अगर 5 साल में बिगड़ी तो दोबारा से बनवाने के लिए जेई और ठेकेदार जिम्मेदार होते हैं।