हाल ही में 30 सितंबर 2024 को आकाशी बिजली गिरने से दो लोग घायल हुए थे। जब उन्होंने एंबुलेंस को फोन किया, तो गाड़ी गांव तक नहीं आ सकी। मजबूरन, उन्हें चारपाई पर लेकर दो किलोमीटर पैदल चलकर गाड़ी तक ले जाना पड़ा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने पर एक व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – सुचित्रा
उत्तर प्रदेश के जिला चित्रकूट के ब्लॉक मऊ में स्थित गांव करौदी खुर्द के निवासियों का जीवन सड़क की कमी के कारण बेहद कठिन हो गया है। पिछले चार पीढ़ियों से यहां की आबादी बिना सड़क की सुविधा के जीवनयापन कर रही है। बारिश के मौसम में स्थिति और भी बिगड़ जाती है, जिससे लोगों को बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। यहां के लोग हमेशा पतली गली से ही निकलते रहे हैं। हाल ही में मनरेगा के तहत सड़क में मिट्टी डलवाई गई, लेकिन बरसात के मौसम में निकलना संभव नहीं होता।
सड़क की स्थिति
गांव में रास्ते की हालत इतनी खराब है कि चार पहिया वाहन नहीं आ सकते। बरसात में तो महिलाएं भी पैदल नहीं निकल पातीं। इस गांव की जनसंख्या लगभग एक हजार है, लेकिन किसी ने भी इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया है। चुनावों के समय नेताओं द्वारा किए गए वादे चुनावी प्रचार तक सीमित रहते हैं।
सड़क न होने से बढ़ी लोगों की मुश्किलें
गांव के निवासी कलावती और मुनीलाल बताते हैं कि हाल ही में 30 सितंबर 2024 को आकाशी बिजली गिरने से दो लोग घायल हुए थे। जब उन्होंने एंबुलेंस को फोन किया, तो गाड़ी गांव तक नहीं आ सकी। मजबूरन, उन्हें चारपाई पर लेकर दो किलोमीटर पैदल चलकर गाड़ी तक ले जाना पड़ा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने पर एक व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया।
ऐसी घटना इस बात को साबित करती है कि यदि सड़क होती तो यह घटना शायद टल सकती थी।
शिक्षा पर प्रभाव
स्कूली बच्चों के लिए भी यह समस्या गंभीर है। बारिश में बच्चों का स्कूल जाना कठिन हो जाता है। बारिश में छोटे बच्चे 2 किलोमीटर पैदल चलते हैं, जिससे उन्हें स्कूल जाने में देर हो जाती है। गड्ढों और कीचड़ में गिरकर उनके कपड़े और किताबें खराब हो जाती हैं। ऐसे रास्ते से बच्चे भी स्कूल जाने से मना करते हैं। माता-पिता को छोटे बच्चों के लिए ज्यादा डर लगता है, यदि स्कूल जाते वक्त चोट लग गई तो। इसलिए गांव के कुछ लोग बच्चों के साथ स्कूल छोड़ने व लेने आते हैं। इसके अलावा, कई बार हाथ-पैर टूटने की घटनाएं भी होती हैं।
गर्भवती महिलाओं पर इसका असर
गांव के लोगों ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए स्थिति और भी भयावह होती है। पिछले साल 2023 में जब एक महिला को डिलीवरी होनी थी और घर में कोई पुरुष नहीं था, तो उनकी स्थिति बेहद खराब हो गई। आखिर में समय पर इलाज न होने से महिला और उसके बच्चों की मौत हो गई। अगर सड़क होती, तो उन्हें समय पर मदद मिल सकती थी।
विधायक ने दिया आश्वासन
मऊ मानिकपुर विधायक अविनाश कहते हैं कि अब उन्हें इस गांव की समस्याओं को समझ गए हैं। वे पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों से सर्वे कराने की बात कर रहे हैं। उनका आश्वासन है कि अगर समस्याएं गंभीर हैं, तो उचित कदम उठाए जाएंगे।
चित्रकूट के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) अधिशासी अभियंता सक्सेना ने बताया कि इस क्षेत्र में सड़कें नहीं बनी हैं, क्योंकि 2011 की जनगणना में आबादी 250 से कम थी। उनके अनुसार, यदि कोई नया नियम आता है, तो सड़क निर्माण पर विचार किया जाएगा। यह स्थिति अत्यंत निराशाजनक है, क्योंकि जनसंख्या बढ़ने के बावजूद सड़क निर्माण को लेकर किसी तरह का विचार नहीं किया गया है।
गांव करौदी खुर्द के निवासियों की यह कहानी केवल एक गांव की नहीं, बल्कि उन हजारों गांवों की है जहां विकास की कमी के कारण लोग प्रतिदिन संघर्ष कर रहे हैं। यह आवश्यक है कि स्थानीय प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से ले और गांवों की वास्तविक जरूरतों को समझे। यदि सही कदम उठाए जाएं, तो निश्चित ही इस गांव की स्थिति में सुधार हो सकता है।
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