देश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले गांधी जी का हर साल 2 अक्टूबर को बड़े धूम-धाम से जन्मदिन मनाया जाता है. लोगों का मानना है कि उन्होंने देश की आजादी के लिए बहुत सारे आंदोलन किये लड़ाइयां लड़ी. लेकिन हिंसा का रूप कभी नहीं लेने दिया उनका एक नारा था अहिंसा परमो धर्म जो बहुत ही अच्छा था| इस नारे के जरिए वह लोगों को बताते थे की हिंसा को कभी नहीं अपनाना चाहिए.किसी भी काम को प्यार और व्योहार से सुलझाने में सब का हित होता है.अगर कोई एक गाल में थप्पड मारे तो दूसरा गाल भी आगे कर देना चाहिए |
लेकिन आज जिस स्थिति में हमारा देश है वह उस नारे के बिलकुल ही विपरीत है क्योंकि आज हर जगह हिंसा ही हिंसा नजर आ रही है आए दिन हत्याएं रेप दहेज हत्या जैसे मामले बढ़ते जा रहे हैं. बात-बात में गोलियां चलने लगती हैं. लेकिन इन हिंसाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. लोगों को और भी बढ़ावा मिल रहा है| आज चारों तरफ हिंसा का बोलबाला है।
आज का युग तो अनावश्यक हिंसा का युग भी कहा जा सकता है। बिना मतलब जीवों की और आदमी की भी हिंसा हो रही है। मानों हिंसा करना एक शौक बनता जा रहा है। देश एवं दुनिया में जटिल होते हिंसक हालातों पर नियंत्रण के लिये राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाना हमारे लिये गर्व की बात है।
गांधी की अहिंसा ने भारत को गौरवान्वित किया है जिससे भारत ही नहीं, दुनियाभर में अब उनकी जयन्ती को बड़े पैमाने पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। गाँधी जी ने देश की आजादी के लिए बहुत सारे आंदोलन किये लड़ाइयां लड़ी। लेकिन हिंसा का रूप कभी नहीं लेने दिया उनका एक नारा था अहिंसा परमो धर्म। इस नारे के जरिए वह लोगों को बताते थे की हिंसा को कभी नहीं अपनाना चाहिए। किसी भी काम को प्यार और व्योहार से सुलझाने में सब का हित होता है। लेकिन आज की स्थिति में हमारा देश उस नारे के बिलकुल ही विपरीत है आज 2 अक्टूबर है हमने लोगों से जाना कि उनके नजरिये से अहिंसा परमों धर्म के क्या मायने हैं? लोगों का कहना है कि गांधी जी की फोटो तो भले ही हर आफिस और कार्यालय में लगी हुई है |
यहां तक की जो हमारा मुद्रा है उसमें भी राष्ट्रपिता की फोटो छपी हुई है जो हर व्यक्ति के हाथ में चौबीसों घंटे रहता है. लेकिन उसका कोई मतलब नहीं है. लोग उनके किसी भी धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं | अगर आज के समय और स्थिति को लेकर चलें तो,जब से देश में भाजपा की सरकार आई तब से इतनी ज्यादा हिंसा बढ़ी है कि आए दिन सबसे ज्यादा हिंसा तो बेजुबान जानवरों के साथ हो रही है जिसके लिए यह सरकार गौरक्षा का ढिंढोरा पीटती है |
वह आए दिन मौत का शिकार होती हैं भूखों मरती हैं. इस समय कोई भी बिना हिंसा के सकून भरी जिन्दगी नहीं जी पा रहा| अगर आज गांधी जी हमारे बीच होते और उनके वचनों के हिसाब का कार्य होता तो शायद हमारा देश इस स्थिति में नहीं होता.लेकिन ना ही लोग उनके धर्म का पालन कर रहे हैं और ना ही कानून यही कारण है कि देश में दिन पर दिन हिंसा ए बढ़ती जा रही हैं |