बदलते दौर के साथ कहते है कि सब कुछ बदल रहा है पर इंसान की का तनाव जैसे का तैसे है। कम होने की वजह और बढ़ते नजर आ रहे है। हमने कुछ अपने युवा साथियों से बात की उन्हें किस तरह की परेशानी है। बदलते जमाने के साथ सब कुछ बदल रहा है पर जो नहीं बदल रहा वो है इंसान का मानसिक तनाव।
12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस है आँखों में उम्मीद के सपने, नई उड़ान भरता हुआ मन कुछ कर दिखाने का हौसला लिए युवा दिन प्रतिदिन मानसिक तनाव से ग्रसित होता जा रहा है कम्पटीशन का यह जमाना युवाओं को उबरने नहीं दे रहा तो आइए हम जानते हैं की महोबा का युवा किस मानसिक तनाव से गुजर रहा और क्या वहां इसकी कौन्सिलिंग के लिए कोई सुविधा हैयुवाओं के प्रेरणाश्रोत हैं युवा लेखक सौरभ द्विवेदी
हमारे देश के लिए यह बहुत ही चिंता की बात है कि हमारे देश में तनाव बढ़ता जा रहा है। यह हमारे देश के युवाओं की मौत का कारण बनता जा रहा है। आज का जमाना प्रतियोगिता का है। हर कोई एक दुसरे से आगे बढ़ना चाहता है इसी की वजह से आजकल व्यक्ति तनाव में युग में लड़का हो या लड़की, सभी स्वावलंबी होना चाहते हैं, मगर बेरोजगारी की समस्या हर वर्ग के लिए अभिशाप सा बन चुकी है।
जब इस प्रकार की स्थिति हो जाती है तो जीवन में आए तनाव से मुक्ति पाने के लिए वे आत्महत्या जैसे कदम उठाने को बाध्य हो जाते हैं। महिलाओं की स्थिति तो पुरुषों की तुलना में ज्यादा ही खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े पर गौर करें हर पांच में एक महिला और हर बारह में एक पुरुष मानसिक व्याधि का शिकार है। देश में लगभग 50 प्रतिशत लोग किसी न किसी गंभीर मानसिक विकार से जूझ रहे हैं