भारतीय रिज़र्व बैंक के राज्यपाल उर्जित पटेल जल्द ही अपना पद त्याग देंगे। कहा जा रहा कि सरकार से आपसी समबन्ध बिगड़ने के कारण उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला लिया है।
भारतीय टीवी चैनल सीएनबीसी-टीवी18 और इटी नाओ के स्त्रोतों से ये खबर सामने आई है। वहीँ दूसरी तरफ आरबीआई और वित्त मंत्रालय ने अब तक इस पर कोई टिपण्णी नहीं करी है।
इकनोमिक टाइम्स द्वारा कहा गया है कि सरकार ने आरबीआई राज्यपाल को गैर-बैंक वित्त संगठनो के लिए तरलता, कमजोर बैंकों की पूंजी आवश्यकतायें और छोटे संगठनों को ऋण देने के मुद्दों पर आरबीआई अधिनियम की धारा 7 के तहत आरबीआई राज्यपाल को पत्र भेजे थे।
धारा 7 के चलते ‘केंद्र सरकार समय-समय पर बैंक को इस तरह के निर्देश देकर और बैंक के राज्यपाल से सलाह-मशवरा करके जनता के हित के लिए काम कर सकती है’, इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक ये एक ऐसा कानून है जो अब तक स्वतंत्र भारत में उपयोग नहीं किया गया है।
एक विदेशी बैंक के वरिष्ठ व्यापारी का कहना है कि, “यह मानना मुश्किल है कि भारतीय रिजर्व बैंक के राज्यपाल इस्तीफा दे देंगे क्योंकि यह अभूतपूर्व है और यह काफी अपरिवर्तनीय और अपरिपक्व कदम दिखाई पड़ता है”। ‘लेकिन सरकार द्वारा आरबीआई के संचालन में निरंतर प्रयास काफी निराशाजनक साबित हुए हैं’।
भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार के बीच तनाव के चलते पिछले हफ्ते उप-राज्यपाल आचार्य ने कहा था कि केंद्रीय बैंक की आजादी को कमजोर करना संभवतः “आपदाजनक” हो सकता है, यह दर्शाते हुए कि ये सभी कदम 2019 के चुनाव के चलते, सरकार द्वारा उनके नियमों और नीतियों को लागू कराने के लिए उठाये जा रहे हैं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण और पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण समेत पटेल और अन्य नियामकों ने मंगलवार को वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद की एक बैठक में जेटली और अन्य शीर्ष वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात करके तरलता की कमी पर चर्चा करी थी।
अधिकारीयों का कहना है कि इस बैठक में पटेल द्वारा इस्तीफे का कोई संदेश नहीं दिया गया था।
पटेल और उनके उप-राज्यपाल की, शुक्रवार को शीर्ष वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की उम्मीद है।