चरखारी कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का मामला सामने निकल आया था। जिसमें पीड़ित परिवार ने गांव के ही निशान और जीतू के ऊपर नाबालिक लड़की के साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया है। इसके चलते लड़की गर्भवती हो गई थी। इसकी सूचना पूरे गांव में आग की तरह फैल गई थी। 23 मई को पीड़ित परिवार ने चरखारी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कार्यवाही करने की मांग की थी।
आपको बता दें कि यह घटना 6 महीना पहले की है, जब लड़की स्कूल जाती थी। पर जब लड़की गर्भवती हो गई तो गांव में तरह-तरह के चर्चा फैलने लगी। मई 2019 के महीना में मां बाप ने लड़की को अस्पताल में जांच करवाया तो गर्भवती पाया गई, जब मां बाप ने लड़की से इस घटना के बारे में पूछा तो लड़की ने गांव के ही निशांत राजपूत और जीतू यादव के ऊपर जबरदस्ती कई महीनों तक बलात्कार करने के आरोप लगाए।
हमने गोपनीय जांच के तहत रिपोर्टिंग की तो पता चला कि निशांत और जीतू उच्च जाति के अमीर बाप की औलाद है। वह गाँव मे सारा दिन आवारा गर्दी करते रहते थे। बच्ची की उम्र करीब 13 साल है। वह बहुत ही सीधे स्वाभाव की है। थोड़ी दिमाग से कमजोर भी है। पीड़ित परिवार मजदूरी के लिए दिन भर के लिए चले जाते थे। घर पर छोटे छोटे बच्चे रहते थे, परिवार वाले उस पर ज्यादा ध्यान नही देते थे।
जब लड़की स्कूल से घर वापस आती थी तो निशांत और जीतू बच्ची को रास्ते मे छेक लेते थे। और उसको कमरे में ले जाकर बारी बारी से बलात्कार करते थे। बच्ची की और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी देते थे। जिसके चलते लड़की ने नही बताया। पेट मे गर्भ होने की वजह से पेट बढ़ने लगा तो गाँव मे आपसी चर्चा होने लगी।
पीड़ित परिवार के अनुसार इस मामले को लेकर जब पीड़ित परिवार ने दूसरे पक्ष के घर जाकर कहा तो वह बुरी बुरी गाली-गलौज कर जान से मारने की धमकी देने लगे, जब चरखारी कोतवाली में दरखास दे कारवाही की मांग की तो दूसरे पक्ष यानी जीतू और निशांत के परिवार वालो ने कोतवाली में दो लाख रुपये दे दिए, पुलिस भी कार्यवाही करने की जगह बच्ची का अबॉर्शन करवाने की सलाह देने लगी।
दूसरा पक्ष पीड़ित परिवार और बच्ची को लेकर अबॉर्शन करवाने के लिए उरई लेकर गए, पर ज्यादा दिन होने की वजह से डॉक्टर ने अबॉर्शन नहीं किया।
वो लोग हमारे परिवार को रास्ते मे धमकाते रहे, जान से मारने की कोशिश की, पर हम गाड़ी से नही उतरे। पीड़ित परिवार ने कार्यवाही की मांग करते हुए महोबा एसपी की चौखट पर गुहार लगाई।
महोबा एसपी के आदेश अनुसार चरखारी कोतवाली में पुलिस ने 24 मई को धारा 452, 376 डी, 504 धारा 4 पॉक्सो एक्ट अधिनियम के तहत मुकदमा लिखा गया। पुलिस ने बच्ची का मेडिकल परीक्षण करा, अपराधियों की तलाश शुरू कर दी। गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया।
सोचने वाली बात ये है कि इतनी कारवाही के बाद भी पीड़ित परिवार चैन की नींद नहीं ले पा रहा है। विपक्षी पार्टी पीड़ित परिवार पर लगातार राजीनामा के दबाव बना रहे हैं। तरह-तरह की गाली गलौज और मारपीट करने की जान से मारने की धमकी देते हैं। जिसके चलते पूरा परिवार डर की वजह से अपना गांव छोड़कर दूसरे गांव में गांव में रहने के लिए मजबूर है। पीड़ित परिवार डर की वजह से कही मजदूरी करने भी नही जा पा रहा है, उन्हें डर ही कि उनके परिवार पर विपक्ष पार्टी कभी भी किसी तरह का हमला कर सकते हैं। दबंग होने की वजह से पूरे परिवार पर कहर ढा रहे है। गाँव छोड़ने के बाद भी रात को लोग मोटरसाइकल और चार पहिया में लोग आते है। देख लेने की धमकी देते हैं। पीड़ित परिवार का आरोप है कि वह जिस दिन से मुकदमा लिखाया उस दिन से पुलिस भी उनकी कोई मदद नहीं कर रही है। पुलिस भी पीड़ित परिवार का साथ छोड़ कर अपराधियों का साथ दे रही है। जिसके चलते अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। यही कारण है कि आज हमें गांव छोड़कर दूसरे गांव में रहने के लिए मजबूर है। इतना ही नहीं लड़की के भविष्य को देखते मां बाप को चिंता है कि अगर बच्ची बच्चे को जन्म देती है तो वह किसका वारिस कहलाएगा। आखिर उसकी परवरिश कौन करेगा।
इस पूरे केस को लेकर पुलिस कुछ भी बोलने से इनकार कर रही है। नाबालिक लड़की होने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ रही है।
सवाल ये है कि क्या इस पीड़ित परिवार को मिल पायेगा अपने गाँव मे रहने का हक
क्या पीड़ित परिवार ले सकेगा चैन की सांस।
जहाँ पर सरकार महिला सुरक्षा की बात कर रही है। एंटीरोमियो की टीम गठित कर रही है। पर ऐसे गंभीर मामलों में पुलिस कही भी सख्त नही दिख रही। इस मामले को लेकर पुलिस की चुप्पी साधे रहना एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।