हालही में नोएडा और ग़ाज़ियाबाद से आई दो घटनाओं ने यह सवाल फिर से खड़ा कर दिया है कि क्या क़ानून और सरकारें सच में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर गंभीर हैं?
15 अगस्त जिस दिन देश आज़ाद हुआ। इस साल 79 साल हो गए भारत देश को आज़ाद हुए। आज़ादी के बाद भारत ने चाँद पर कदम रखा, तकनीक और शिक्षा में नए इतिहास रचे। लेकिन दुःख की बात यह है कि वही देश आज भी दहेज और बलात्कार जैसे सामाजिक बुराइयों से जकड़ा हुआ है। महिलाएं आज भी सुरक्षित नहीं है। कहीं दहेज के नाम पर घर के अंदर मौत का शिकार बनी हुई हैं और कहीं घर के बाहर बलात्कार का शिकार बनी हुई हैं। वैसे अब इस तरह की घटना अब आम दिनचर्या की खबरें बनती जा रही है। हालही में नोएडा और ग़ाज़ियाबाद से आई दो घटनाओं ने यह सवाल फिर से खड़ा कर दिया है कि क्या क़ानून और सरकारें सच में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर गंभीर हैं?
नोएडा दहेज हत्या की घटना
यह घटना 21 अगस्त 2025 की है। ग्रेटर नोएडा के सिरसा में एक 26 वर्षीय महिला (निक्की) की दहेज दहेज के लिए ससुराल वालों द्वारा हत्या कर दी गई। कथित तौर पर शादी के आठ साल बाद दहेज के लिए उसके पति और ससुराल वालों ने महिला को प्रताड़ित किया और आग लगा दी। गंभीर रूप से जलने के बाद महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि कई घंटों तक जूझने के बाद महिला की मौत हो गई।
सूत्रों के अनुसार मृतक महिला निक्की और उसकी बहन कंचन दोनों की शादी एक ही घर के दो भाइयों से हुई 2016 में हुई थी। कंचन की रोहित से और निक्की की विपिन से। कंचन ने आरोप लगाया है कि उसके ससुराल वालों ने शादी के समय ही एक बड़ी गाड़ी और अन्य क़ीमती सामान की मांग की थी जिसे पूरा किया गया था। इसके बावजूद ससुराल वाले 36 लाख रुपए की मांग कर रहे थे। बाद में एक और बड़ी गाड़ी (कार) दी गई फिर भी मांगे जारी रहीं। कंचन ने पुलिस को अपने बयान में बताया की “वे निक्की को नियमित रूप से प्रताड़ित करते थे और जब मैंने बीच-बचाव की कोशिश की तो उन्होंने मुझे भी पीटा। कभी-कभी तो हमारे बच्चों के सामने पीटा।” उसने आगे यह भी बताया कि इस झगड़े को स्थानीय पंचायत के सामने कई बार उठाया गया लेकिन दुर्व्यवहार जारी रहा। कंचन द्वारा आरोप लगाया गया है कि 21 अगस्त 2025 को विपिन ने दोनों बहनों के साथ मारपीट की और फिर निक्की के गर्दन पर वार किया और वह गिर गई। उसने दावा किया “फिर उसने उस पर ज्वलनशील पदार्थ डाला और उसे आग लगा दी।” अस्पताल ले जाने पर भी निक्की की जान नहीं बच पाई।
कंचन ने बताया कि दोनों बहनें मेकअप स्टूडियो चलाती थीं, लेकिन ससुराल वालों को यह पसंद नहीं था। “वे हमारी सारी कमाई हड़प लेते थे। इस बात पर हमें मारा-पीटा जाता था,” उन्होंने आगे बताया। निक्की की पिटाई और उसे आग लगाने का वीडियो बनाने वाली कंचन का मानना है कि अगर उसने यह वीडियो रिकॉर्ड नहीं किया होता तो किसी को भी इस घटना के बारे में पता नहीं चलता।
पुलिस द्वारा अब तक कार्यवाही
24 अगस्त 2025 को आरोपी निक्की के देवर रोहित और ससुर सत्यवीर को हिरासत में लिया गया है। इससे पहले निक्की के पति विपिन को उसी दिन पुलिस मुठभेड़ में घायल होने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
एनडीटीवी के रिपोर्टिंग के अनुसार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सुधीर कुमार ने मीडिया को बताया कि वे विपिन को उसके घर ले गए ताकि निक्की को जलाने के लिए इस्तेमाल किए गए ज्वलनशील तरल से भरी बोतल बरामद कर सकें। “उसने एक पुलिसकर्मी की पिस्तौल छीन ली और गोली चला दी। जवाबी गोलीबारी में उसके पैर में गोली लग गई।”
विपिन की गिरफ़्तारी के बाद निक्की के पिता ने भावुक होकर न्याय की गुहार लगाई। परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से एनकाउंटर का आदेश देने की अपील करते हुए कहा, “वे जीने के लायक नहीं हैं क्योंकि उन्होंने मेरी मासूम बेटी को मार डाला। दया ने मिट्टी का तेल डाला और विपिन ने उसे आग लगा दी। वे लंबे समय से पैसे और कार की मांग कर रहे थे।”
ग़ाज़ियाबाद बलात्कार की घटना
दूसरी ओर गाज़ियाबाद से एक और खौफनाक खबर आई। यहां एक मूक-बधिर दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना हुई। लड़की ने इतनी हैवानियत झेली कि उसने खुद को खत्म करने की कोशिश तक कर डाली। यह घटना 18 अगस्त 2025, उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद के लोनी की है। 23 साल की लड़की मूक-बधिर थी।
मृतक लड़की की मां ने पुलिस को बयान में बताया है कि “दो लोगों ने मेरी बेटी को अपनी बाइक पर जबरन बिठाया उसे जंगल में ले गए और उसके साथ बलात्कार किया। मेरी बच्ची को बोलने और सुनने में दिक्कत थी लेकिन आरोपियों उसे नहीं छोड़ा। मैं अपने पोते के साथ एक पड़ोसी के घर गई थी। जब मैं वापस आई तो मेरी बेटी घर पर नहीं थी। काफी समय तक जब वह नहीं लौटी तो उसकी तलाश शुरू कर दी।” लड़की के पिता ने कहा, “रात करीब 10.15 बजे मुझे एक अजनबी ने फोन किया। फोन पर कहा कि बेटी को ले जाओ। मैं तुरंत मौके पर पहुंचा।” लड़की के पिता ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी बेटी के कपड़े अस्त-व्यस्त थे और उसके चेहरे पर चोट के निशान थे। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने उन्हें बताया कि लोगों ने उसे बाइक पर बिठाकर जंगल में उसके साथ बलात्कार किया। इसके बाद पीड़िता को उसके पिता रात करीब 11 बजकर 30 मिनट पर घर ले आए और लड़की को पुलिस स्टेशन ले जाया गया।
एफ़आईआर दर्ज नहीं करने का आरोप
पत्रिका के खबर के अनुसार वहीं लड़की की मां का आरोप है कि है कि पुलिस ने 24 घंटे के अंदर FIR दर्ज नहीं की। पुलिस ने 19 अगस्त 2025 की रात 9 बजकर 22 मिनट पर बीएनएस की धारा 64(2) (बलात्कार) के तहत FIR दर्ज की। 19 अगस्त 2025 रात 11 बजे जिला अस्पताल में लड़की का मेडिकल परीक्षण किया गया। लड़की की मां ने आरोप लगाया, “24 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका था। पुलिस ने मेरी बेटी को नहाने से मना किया था; वह उस स्थिति में नहीं रह सकती थी और उसने अपनी जान ले ली।” हालांकि डीसीपी तिवारी ने कहा कि परिवार द्वारा शिकायत दर्ज कराते ही FIR दर्ज कर ली गई थी। उन्होंने कहा कि महिला दलित थी इसलिए SC/ST एक्ट से संबंधित धाराएं भी जोड़ी जाएंगी।
कमरे में लटका मिला शव
14 अगस्त 2025 को लड़की ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मामले को लेकर पीड़िता की बुआ का कहना है कि शव सुबह 6 बजे दूसरी मंजिल के एक कमरे में मिला जिसका इस्तेमाल बहुत कम होता था। इसी कमरे में फंदे से लटकर पीड़िता ने जान दे दी।
पुलिस द्वारा की गई अब तक की कार्यवाही
पुलिस के अनुसार CCTV फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की गई। मुठभेड़ के बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। ग्रामीण क्षेत्र के डीसीपी सुरेंद्रनाथ तिवारी ने बताया कि जब पुलिस टीम ने आरोपियों का पीछा किया तो उन्होंने पुलिस पर गोलियां चला दीं। इसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षा में फायरिंग की। इसमें आरोपियों के पैरों में गोली लगी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने उनके पास से एक अवैध पिस्तौल, एक खाली कारतूस और एक चोरी की मोटरसाइकिल भी बरामद की है। डीसीपी ने बताया कि आरोपियों की पहचान रोहित (31) और वीर सिंह भोला (53) के रूप में हुई है। फिलहाल मामले की जांच चल रही है।
नोएडा की निक्की और ग़ाज़ियाबाद की मूक-बधिर दलित लड़की की घटनाएं सिर्फ़ दो कहानियां नहीं हैं बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक आईना हैं। दहेज और बलात्कार जैसे अपराध यह दिखाते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान आज भी देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
आज़ादी के इतने साल बाद भी बेटियां घर के भीतर दहेज की मांग का शिकार बन रही हैं और बाहर निकलते ही बलात्कार जैसी हैवानियत का सामना कर रही हैं। सवाल यह है कि आखिर क्यों ये अपराध थमने की बजाय और बढ़ रहे हैं? इसका जवाब साफ़ है कानून का डर अब अपराधियों से खत्म हो चुका है। सख़्त कानून होने के बावजूद उनकी सही तरीके से लागू न होने और कड़ी कार्यवाही न होने की वजह से अपराधी खुलेआम बेख़ौफ़ होकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं। जब तक न्याय व्यवस्था तेज़ और निष्पक्ष नहीं होगी जब तक हर केस में अपराधियों को कड़ी सज़ा नहीं मिलेगी तब तक ऐसी घटनाएं रुकना मुश्किल है।
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