जिला वाराणसी काशी विश्वनाथ टेरी नीम गली मैं रंगभरी एकादशी त्योहार रंग गुलाल के साथ होली खेलते हैं
होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है।
इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं।
बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है। ठीक होली से कुछ दिन पहले ये एकादशी मनाई जाती है |
यह होली 300 वर्षों से मनाया जाता है जिसमें लोग ढोल नगाड़े के साथ होली के 5 दिन पहले रंगभरी एकादशी मनाते हैं
जिसमें की पूरे लोग वहां के रंगों में रंग जाते हैं उसे बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं इस दिन होली की शुरुआत हो जाती है जिस में रंग गुलाल अबीर भस्मा कई प्रकार के होते हैं एकादशी एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है और आपस में खुशियां बांटी जाती है
वहां पर सबसे विशेष बात यह है कि जिस तरह से लोग वहां पर डमरु बजाते हैं देखने योग होता है लोगों को अपनी तरफ आकर्षित भी करता है इस तरह की चीजें बहुत कम देखने को मिलते हैं इसे लगभग तीन 4 घंटे तो कार्यक्रम चलता है
और देखने वालों के ताते लगे हुए होते हैं यह भगवा रंग लोगों के मन में प्यार बढ़ाता है