खबर लहरिया जिला रामपुर : समझौता कराने के बहाने बुलाकर पत्नी को दिया तलाक

रामपुर : समझौता कराने के बहाने बुलाकर पत्नी को दिया तलाक

2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक़ को अवैधानिक करार दिया। 2019 में तीन तलाक़ को लेकर कानून पारित हुआ कि अगर कोई भी पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक,तलाक,तलाक बोलकर शादी के बंधन से मुक्त करता है तो उसे तीन साल की सजा होगी, लेकिन क्राइम करने वाले को जैसे अन्य क्राइम करने से पहले कानून का डर नहीं रहता है। उसी तरह से तीन तलाक़ का डर भी किसी को नहीं है जिसे तलाक़ देना है वो कहीं भी तलाक़ दे देते हैं।

ऐसा ही एक मामला 28 जनवरी 2023 को यूपी के रामपुर जिले के मिलक कोतवाली क्षेत्र के नसीराबाद मोहल्ले में सामने आया है। वहां की शबाना नाम की महिला का आरोप है कि उनके पति ने उन्हें 5 जनवरी को मार कर घर से निकाल दिया था। तब उन्होंने मिलक कोतवाली में शिकायत की थी। पुलिस ने उन्हें 28 जनवरी को थाने बुलाया। वहीं महिला चौकी प्रभारी साधना खरे के सामने बातों-बातों में बहस करते-करते उनके पति ने उन्हें तलाक बोल दिया।

साधना खरे ने उलटा शबाना से हाथ पैर जुड़वाये, मांफी मगवाई फिर शबाना का पति राशिद सबके सामने तलाक़ देकर चला गया। मिलक कोतवाली पुलिस ने शबाना को ही गलत साबित करके भगा दिया और शिकायत पर रिपोर्ट भी नहीं लिखी। न ही कोई एक्शन लिया। मजबूर होकर न्याय के लिए उन्हें एसपी का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा। तब जाकर उनकी एफआईआर दर्ज़ हुई फिर राशिद की गिरफ्तारी हुई लेकिन 8 दिन में जमानत पर वह वापस छूट गया। अब वह दूसरी शादी करने वाला है।

शबाना कहती हैं कि “मेरा एक लड़का है 8 महीने का, इसका खर्च कहां से पूरा होगा, कौन उठाएगा? पहले तीन तलाक के तहत कोई पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोल कर छोड़ देता था लेकिन अब यह गैरकानूनी है। अब अगर कोई पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोल कर छोड़ देता है तो उसे कानूनन तीन साल की सजा हो सकती है और पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है।

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2017 में आया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की 1400 साल पुरानी प्रथा को असंवैधानिक करार दिया था और सरकार से कानून बनाने को कहा था।

सरकार ने दिसंबर 2017 में लोकसभा से मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पारित कराया लेकिन राज्यसभा में यह बिल अटक गया था। विपक्ष ने मांग की थी कि तीन तलाक के आरोपी के लिए जमानत का प्रावधान भी हो।

2018 में विधेयक में संशोधन किए गए, लेकिन यह फिर राज्यसभा में अटक गया।

इसके बाद सरकार सितंबर 2018 में अध्यादेश लेकर आई। इसमें विपक्ष की मांग को ध्यान में रखते हुए जमानत का प्रावधान जोड़ा गया। अध्यादेश में कहा गया कि तीन तलाक देने पर तीन साल की जेल होगी। तीन तलाक बिल 30 जुलाई को 2019 को राज्यसभा में पास हो गया था। राज्यसभा में वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े थे। भले ही तीन तलाक पर नया कानून बिल पास हो गया हो लेकिन तीन तलाक देने वालों में कोई कानून का खौफ नही हैं। तीन-तलाक पर कानून बनने के बाद भी इन मामलों में कमी नहीं आई है।

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