आज़ादी को 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं लेकिन आज भी समाज की रूढ़िवादी सोच के तले महिलाओं को दबा हुआ पाया जाता है। माहिलाएं आज विकास के हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। एक महिला हमेशा परिवार, समाज और देश की तरक्की में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं लेकिन रूढ़िवादी सोच हमेशा उसे कैद करना चाहती है। इन ज़ंजीरों को शारदा नाम की महिला ने अपने संघर्ष के द्वारा तोड़ दिया है। जो महिलाओं के लिए आज प्रेरणा का स्त्रोत भी बन रहीं हैं। मिलिए महिला ई-रिक्शा चालक शारदा से और जानिये हमारे साथ उनके ज़िंदगी के सफर की कहानी।
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