रामबाबू तिवारी मौत मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीजेपी पर सीधा निशाना साधा। पाल और ब्राह्मण समाज के लोगों को आपस में लड़वाने का लगाया आरोप।

कौशाम्बी के रामबाबू तिवारी मामले पर अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के दोनों उप मुख्यमंत्री पर साधा निशाना (फोटो साभार: खबर लहरिया)
लेखन – हिंदुजा
उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के रामबाबू तिवारी की आत्महत्या के बाद माहौल गरमाया हुआ है। सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने X पर लम्बी पोस्ट में बीजेपी पर वार किया। उन्होंने पोस्ट में कौशाम्बी में बीजेपी द्वारा पाल और ब्राह्मण समुदाय के बीच मनमुटाव पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, “भाजपा की अंदरूनी राजनीति की शर्मनाक लड़ाई में अब दो भाजपाई उप मुख्यमंत्री दो समाज के लोगों को आपस में लड़वा रहे हैं।”
(अखिलेश यादव ये कहकर भाजपा के उत्तर प्रदेश के दो उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक जो एक ब्राह्मण हैं और केशव प्रसाद मौर्या जो बीजेपी का प्रदेश में ओबीसी चेहरा हैं उनके बीच अंदरूनी राजनीति की बात कर रहे हैं।)
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का नाम लिए बिना अखिलेश ने कहा कि पहले एक उप मुख्यमंत्री ने नाइंसाफी करते हुए ‘पाल’ समाज के लोगों को मोहरा बनाया, फिर दूसरे उप मुख्यमंत्री ने अपने उस समाज के नाम पर झूठी सहानुभूति दिखाई, जो समाज इन दोनों के ‘ऊपरवालों’ को नहीं भाता है।
भाजपा की अंदरूनी राजनीति की शर्मनाक लड़ाई में, अब कौशांबी में दो भाजपाई उप मुख्यमंत्री, दो समाज के लोगों को आपस में लड़वा रहे हैं। पहले एक उप मुख्यमंत्री ने नाइंसाफी करते हुए ‘पाल’ समाज के लोगों को मोहरा बनाया, फिर दूसरे उप मुख्यमंत्री ने अपने उस समाज के नाम पर झूठी सहानुभूति…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 9, 2025
क्या है राम बाबू तिवारी मामला?
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के सैनी कोतवाली क्षेत्र के लोंहदा गांव के राम बाबू तिवारी की आत्महत्या ने न सिर्फ स्थानीय स्तर पर, बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। ख़बरों के मुताबिक, 4 जून 2025 को 55 वर्षीय रामबाबू तिवारी ने जहर खाकर जान दे दी। आत्महत्या से पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट छोड़ा और अपने पेट पर स्याही से उन लोगों के नाम लिखे, जिन्हें माना जा रहा है के वो अपनी मौत का ज़िम्मेदार मानते थे।
रामबाबू ने आत्महत्या क्यों की?
दरअसल, रामबाबू के परिवार के मुताबिक, उनके बेटे को गांव के प्रधान भूप नारायण पाल और कुछ अन्य लोगों ने 8 साल की नाबालिक से रेप के झूठे केस में फ़साया गया। परिजनों का कहना है कि उनका बेटा निर्दोष है, लेकिन उसे जेल जाना पड़ा। इसी से रामबाबू गहरे मानसिक तनाव में आ गए और खुद को बेटे को न्याय न दिला पाने का दोषी मानने लगे जिसके चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली।
स्थानीय स्तर पर जानकारी के मुताबिक, रामबाबू तिवारी और प्रधान भूप नारायण के बीच तीन दशक से निजी और राजनीतिक दुश्मनी चली आ रही थी। जमीनी विवाद, चुनावी रंजिश और सामाजिक तनाव — ये सब इस विवाद की पृष्ठभूमि रहे हैं। आरोप है कि इसी दुश्मनी की वजह से रामबाबू के बेटे को झूठे केस में फंसाया गया।
क्या रेप केस सच में झूठा है?
8 साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म का मामला तब सामने आया जब उसके पिता ने सिद्दरत उर्फ़ धम्मू तिवारी के खिलाफ F.I.R दर्ज कराई। और जिसके तहत पुलिस ने आरोपी को धारा 376 और POSCO के तहत गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। इसके बाद आरोपी के पिता रामबाबू तिवारी के थाने में जहर खाकर आत्महत्या करने के बाद पुलिस ने पीड़िता के पिता और चाचा को भी जेल भेज दिया है। फिलहाल मामले की फॉरेंसिक और कानूनी प्रक्रिया जारी है।
आत्महत्या के बाद क्या हुआ?
5 जून को जब पोस्टमार्टम के बाद शव गांव पहुंचा, तो गुस्साए परिजन और ग्रामीणों ने राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-2) पर शव रखकर चक्का जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि नामजद आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे भगदड़ मच गई और पुलिस ने शव को जबरन गांव ले जाकर अंतिम संस्कार करवा दिया, जिससे तनाव और बढ़ गया।
अभी तक की कार्रवाई में पुलिस ने ग्राम प्रधान सहित 6 लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया है और इनमें से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।ग्राम प्रधान पर ₹25,000 का इनाम घोषित कर दिया गया है और उसकी तलाश जारी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाध्यक्ष को हटाकर दो दारोगाओं को सस्पेंड कर दिया गया है।
रामबाबू की मौत के बाद ब्राह्मण समाज में भारी आक्रोश देखने को मिला। कई संगठनों, जिनमें विश्व हिंदू परिषद और अन्य ब्राह्मण संगठन शामिल हैं, ने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर विरोध दर्ज कराया। वहीं, दूसरी ओर, जिस नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज हुई थी, उसका मामला आम चर्चा से लगभग गायब हो गया है।
परिजनों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रभाव और दबाव में आकर कौशांबी पुलिस ने नाबालिक के पिता और चाचा पर ही रामबाबू को आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया। इससे रेप शिकायतकर्ता का पक्ष भी सवालों के घेरे में आ गया है, और मामले की तह तक पहुंचने की जगह प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप लग रहे हैं।
कौशाम्बी में स्व.राम बाबू तिवारी प्रकरण में उनके परिजनों को न्याय मिले एवं दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित कराने हेतु प्रमुख सचिव गृह को निर्देशित किया.
— Brajesh Pathak (@brajeshpathakup) June 7, 2025
इसी माहौल के बीच उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ने भी रामबाबू तिवारी के परिजनों को न्याय दिलाने का आश्वासन देते हुए बयान जारी किया जिससे ब्राह्मण समाज के पक्ष का दबाव साफ़ झलकता है। ऐसे में क्या नाबालिक के रेप की निष्पक्ष जांच होगी?
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