रमज़ान के पाक महीने में बच्चे भी पूरे उत्साह के साथ सहरी के लिए सुबह जल्दी उठते हैं। 4 बजे के करीब दूध, ब्रेड या हल्का-फुल्का नाश्ता कर के वे दिनभर के रोज़े की तैयारी करते हैं। सहरी करना जरूरी होता है ताकि दिनभर एनर्जी बनी रहे। फ्रूट्स और वेजिटेबल्स खाने से ताकत भी मिलती है। सहरी का वक्त रात के खाने के बाद से शुरू होकर सुबह फजर तक रहता है, जिससे रोज़ेदारों को पर्याप्त ताकत मिल सके।
ये भी देखें –
Eid: संभल व मेरठ में ईद की नमाज को लेकर प्रतिबंध लागू, जानें क्या है नियम
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’
If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke’