खबर लहरिया ताजा खबरें 12 साल बाद पाकिस्तान जेल से रिहा हुए राम बहादुर

12 साल बाद पाकिस्तान जेल से रिहा हुए राम बहादुर

जिला बांदा| 12 साल बाद जब महुआ ब्लॉक के पचोखर गांव के राम बहादुर 9 सितंबर को पाकिस्तान जेल से रिहा होकर गांव लौटे तो गांव में खुशी से लोग फूले नहीं समा रहे थे। गाँव में भीड़ लगी हुई थी। बेटे को देखते ही फ़फ़क-फफक कर माँ-बाप कर रो पड़े। अपने बेटे को छाती से लगा लिया। मां-बाप की खुशी के आंसू देख गांव के लोगों की भी आंखे भर आई।

राम बहादुर को अमृतसर लेने गई टीम 9 सितंबर को वापस दोपहर में बांदा आई। इसके बाद टीम अतर्रा पहुंची और अतर्रा थाने में उसकी पुष्टि कराई गई। इसके बाद उसे उसके गांव पचोखर लाया गया। इधर बरसों से खोए हुए बेटे की आने की खुशी में पलके बिछाए बैठे बुजुर्ग पिता गिल्ला और मां कुसमा सहित पूरा परिवार सुबह 7:00 बजे से ही उसकी राह देख रहा था। जैसे ही बेटा आया पिता और भाई दौड़ कर गए और उसको गले से लगा लिया। जब हमने राम बहादुर से पूछा कि वह पाकिस्तान कैसे पहुंचे और वहां पर कैसे रहे तो उन्होंने हंसते हुए बताया कि अच्छा था वह 30 लोगों से मिले हैं, लेकिन पाकिस्तान कैसे पहुंचे वह नहीं बता पाए, ना वहां के बारे में वह कुछ बता पाए।

परिवार ने बताया कि 12 साल पहले साल 2009 बेटा घर से साइकिल लेकर निकला था। इसके बाद उसका कोई पता नहीं चला। उन्होंने अपनी तरफ से बहुत खोजबीन की और जितना उनके पास था पैसा भी खर्च किया, लेकिन बेटे का कोई पता नहीं चला। उन्होंने तो आस ही छोड़ दी थी कि उनका कन्हैया कभी वापस भी आएगा। वो इस दुनिया में है भी या नहीं, लेकिन आज जब वापस लौटा है तो खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। रामबहादुर जैसे ही आया, मां-बाप और भाई के साथ=साथ बहने भी खुशी से फूली नहीं समा रही थी। राखी, मिठाई और फूलों की माला लेकर पहले से इंतजार में खड़ी थी। जैसे ही राम बहादुर दरवाजे पर पहुंचा, बहनें दौड़ पड़ी और उन्होंने भाई को बड़े धूमधाम से माला पहनाई और मिठाई खिलाकर स्वागत किया।

जानकारी के अनुसार, जनवरी 2021 में लोकल इंटेलीजेंस यूनिट ( एल आइयू) टीम ने उनके बेटे के पाकिस्तान के लहौर जेल में बंद होने की सूचना दी थी। 30 अगस्त 2021 को राम बहादुर पाकिस्तान की लाहौर जेल से रिहा होकर अमृतसर के रेडक्रस सोसाइटी की देखरेख में होने की खबर मिली तो बूढ़ी मां कुसमा और पिता गिल्ला बेटे की झलक देखने के लिए बेचैन हो गए थे। आखिरकार राम बहादुर सभी बाधाओं को पार करते हुए 9 सितंबर, गुरुवार को अपने घर लौट आया और उसके मां-बाप के सपने पूरे हो गए।

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