कभी सोचा है आपने कि मंदिर-मस्जिद से पहले कौन था? इंसान, लेकिन आज इंसान पीछे छूट गया है, और धर्म सत्ता का हथियार बन बैठा है। जब नमाज़ को शक की निगाह से देखा जाए और जुलूस को उत्सव कहा जाए तो समझ लीजिए कि हम धर्म नहीं, सत्ता का खेल देख रहे हैं। ‘राजनीति, रस, राय’ में आज हम उस खेल का पर्दाफाश करेंगे, सवाल पूछेंगे, और ज़मीर को झकझोरेंगे।
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