आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप में दोषी संजय रॉय को फांसी देने की मांग की। पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार 21 जनवरी 2025 को फांसी की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। यह फैसला सरकार ने सियालदह कोर्ट के फैसले के बाद लिया गया जिसमें दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।
9 अगस्त 2024 को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार व अमानवीयता के साथ शारीरिक हिंसा की थी। इसके बाद उसकी हत्या की गई। महिलाओं और डॉक्टर की सुरक्षा के लिए डॉक्टर और महिला संगठनों ने सड़क पर आकर कई दिनों तक धरना प्रदर्शन किया था। इस सम्बन्ध में आरोपी संजय रॉय का चेहरा सामने आया जिसे कोलकता की एक अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई।
फैसले से नाराज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
इस तरह के फैसले से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नाखुश दिखाई दी और उन्होंने दोषी को मृत्युदंड देने की मांग की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “ऐसे फैसले में जिसमें मृत्युदंड की मांग की गई है। अदालत कैसे इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि यह दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला नहीं है? हम इस सबसे भयावह और संवेदनशील मामले में मृत्युदंड चाहते हैं और इस पर जोर देते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हाल ही में, पिछले 3/4 महीनों में, हम ऐसे मामलों में दोषियों के लिए मृत्युदंड/अधिकतम सज़ा सुनिश्चित करने में सक्षम हुए हैं। फिर, इस मामले में मृत्युदंड क्यों नहीं दिया गया?”
मैं ये महसूस कर सकती हूँ कि यह एक जघन्य अपराध है जिसके लिए मृत्युदंड की आवश्यकता है। हम अब हाई कोर्ट में दोषी को फांसी की सजा की गुहार लगाएंगे।’
In the R.G. Kar junior doctor’s rape and murder case, I am really shocked to see that the judgement of the Court today finds that it is not a Rarest of Rare case!
I am convinced that it is indeed a rarest of rare case which demands capital punishment. How could the judgement…
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) January 20, 2025
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जज के कहा यह कोई दुर्लभ मामला नहीं
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता की सियालदह कोर्ट ने इस मामले में संजय रॉय को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाते हुए कहा कि यह कोई यह कोई ऐसा मामला नहीं है जो बहुत कम हो।
अदालत ने मामले में सुनाए फैसले
अदालत ने इस मामले में यह भी निर्देश दिया कि लड़की के माता-पिता को 17 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया जाएगा। इसके साथ ही दोषी पर 50,00 रुपए का जुर्माना भी लगाया।
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