गर्मियों में गाँव की रसोई में कद्दू जिसे गांव में कोहड़ा और कहीं कहीं सीताफल भी कहा जाता है। हरे कद्दू की सब्जी हो या फूल का कुरकुरा भजिया, हर चीज खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है।
रिपोर्ट- सुनीता, लेखन – कुमकुम
कद्दू का नाम सुनते ही कई लोगों के मुँह बन जाते हैं, क्योंकि बहुत से लोग हैं जिन्हें खाने में कद्दू पसंद नहीं होता। कद्दू की सब्जी भले लोगों को कम पसंद आती है लेकिन कद्दू के फूल की भजिया (पकोड़ी) भी बनाई जाती है ये किसी किसी को पता है। ग्रामीण इलाकों में कद्दू के फूल की भाजी बनाना आम बात है लेकिन अब यह शहरों में भी बड़े चाव से खाया जाता है। हालाँकि शहर में कद्दू के फूल बाज़ारों में कम दिखाई देते हैं। गांव में तो कद्दू अधिकतर घरों की छतों पर दिखाई देता है। कद्दू का हलवा भी बहुत लजीज और स्वादिष्ट होता है।
गर्मियों में गाँव की रसोई में कद्दू जिसे गांव में कोहड़ा और कहीं कहीं सीताफल भी कहा जाता है। हरे कद्दू की सब्जी हो या फूल का कुरकुरा भजिया, हर चीज खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है। जब पका कद्दू का हलवा बनता है, तो उसका मीठा स्वाद सबको बहुत भाता है। कद्दू सिर्फ स्वाद में ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
चित्रकूट ब्लॉक मऊ के सेमरा गांव में रानी कहती हैं कि इस मौसम यानी कुआर के महीने में हर घर में कोहड़ा तैयार होता है। कोहड़ा एक ऐसी सब्जी है जिसका फल, गवा, फूल और कली—सब खाने में इस्तेमाल होते हैं। गाँव में इसे कोहड़ा कहा जाता है, जबकि शहरों में इसे कद्दू के नाम से जाना जाता है।
कोहड़े के फूल के भजिया
सबसे पहले सुबह-सुबह कोहड़े के फूल तोड़कर रख लें। इन्हें साफ करके अलग कर लें। फिर स्वाद अनुसार बेसन में नमक मिला लें। इसके बाद कड़ाही को चूल्हे पर गरम करें और तेल डालें। फूलों को बेसन में लपेटकर कड़ाही में डालें और तब तक तलें जब तक वे अच्छी तरह से कड़क और सुनहरे न हो जाएँ।
गाँव में लोग इसे बनाने के अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। कुछ लोग गेहूं के आटे का घोल बनाकर फूल लपेटकर भी तलते हैं, जो खाने में बहुत स्वादिष्ट लगता है। इस मौसम में हर घर में आसानी से कोहड़े के फूल मिल जाते हैं और भजिया बनाने में बहुत अच्छा स्वाद आता है।
कोहड़े की सब्जी
इसके अलावा, कोहड़े की सब्जी भी बनती है। गवा को एक-एक करके तोड़ लें, फिर हसिया या चाकू से बारीक काटें। इसके बाद इसे कड़ाही में तेल डालकर लहसुन और हरी मिर्च का तड़का डालकर तड़का लगाकर फिर कोहड़ा को डालकर फिर नमक डालकर अच्छे से पकाया जाता है। पक जाने के बाद अच्छे से खुश्बू आने लगती है। इसके बाद गर्म रोटी से खाने से इसका स्वाद बढ़ जाता है।
पका कोहड़ा और हलवा
जब कोहड़ा पूरी तरह पक जाता है तो इसका हलवा भी बनाया जाता है। पके कोहड़े को घी और चीनी में मिलाकर हलुवा बनाया जाता है। अगर मेवा हो तो हलुवे में डालकर और भी स्वाद बढ़ाया जाता है। पका कोहड़ा मीठा और मुलायम होता है। खाने में बहुत अच्छा लगता है।
गांव की खासियत
गांव में अधिकांश घरों में कोहड़ा खुद उगाया जाता है। हरे कोहड़े की सब्जी को देशी घी की पूरी के साथ मिलाकर खाने का मज़ा कुछ अलग ही होता है। पके कोहड़े की सब्जी और हलुवा खाने में स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। यही कारण है कि कोहड़ा गाँव के हर घर की रसोई में खास जगह रखता है।
गाँव के लोग कहते हैं कि कोहड़ा हर तरह से खाने में मजेदार और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। चाहे फूल का भजिया हो, गवा की सब्जी या पके कोहड़े का हलुवा। इस मौसम में हर घर में कोहड़ा जरूर बनाया जाता है और हर किसी की थाली में इसका स्वाद आता है।
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