महामारी में एक तरफ लोगों से उनका रोज़गार छिन गया। वहीं प्राइवेट वाहन वालों द्वारा लोगों से अधिक किराया वसूला जा रहा है।
जिला बांदा| जहां एक तरफ कोरोना महामारी से देश में हाहाकार मचा हुआ है और लॉकडाउन का दौर चल रहा है। ऐसे में लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा। लोग आर्थिक रुप से प्रभावित हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट साधनों में लाभ कमाने के लिए लूट मची हुई है। यात्रियों से दुगना और चार गुना किराया लिया जा रहा है। इसके साथ ही बसों में लोगों को भी अधिक मात्रा में भरा जा रहा है। जहां सोशल डिस्टैन्सिंग तो दिखाई ही नहीं देती। फिर लोगों से किस बात के लिए बढ़-चढ़कर किराया लिया जा रहा है। जब अब भी सवारी पहले की ही तरह भरी जा रहीं हैं। जो लोग मज़बूरी में यात्रा करते हैं। उन्हें दुगना किराया न चाहते हुए भी देना पड़ता है। कई बार तो बढ़े किराये को लेकर लोगों के झगड़े भी हो जाते हैं। लोग सरकार पर सवाल भी उठाते हैं।
7 मई शुक्रवार की बात है। बांदा की रहने वाली महिला उषा नरैनी से कालिंजर जा रही थी। जिस बस में मै बैठी उसमें इतनी ज्यादा भीड़ थी कि मुझे उस बस में चढ़ने से भी डर लग रहा था। बस में न तो बैठने के लिए सीट थी और न ही खड़े होने की जगह। गर्मी में छोटे से बड़े लोग परेशान थें। लेकिन बस वालों को तो बस सवारियों को भरने से मतलब था। जैसे-तैसे सवारियों को भरने के बाद बस कुछ आगे बढ़ी। फिर ड्राइवर ने बरछा के पास बागे नदी के पास बस खड़ी कर दी और लोगों से किराया वसूल करने लगे।
आमतौर पर, नरैनी से कालिंजर बस से जाओ या रोडवेज से, उसका किराया 20 रूपये ही लगता था। लेकिन अब यात्रियों से 25 रूपये लिया जा रहा है। बढ़े किराये की बात सुनकर बस में बैठे लोग चिल्लाने लगे। फिर बस कंडक्टर उषा के पास भी किराया मांगने आया। उन्होंने 20 रूपये निकालकर दिए तो कंडक्टर ने उनसे 5 रूपये और भी माँगा। उन्होंने कंडक्टर से पूछा कि आखिर बस का किराया कब बढ़ा ? वह कहता है कि लॉकडाउन है इसलिए ले रहे हैं।
वह आगे कहती हैं कि यूँ तो आपने ( कंडक्टर) बस में ज़रुरत से ज़्यादा लोगों को भरा हुआ है। महामारी का समय है। बस में भी मास्क और सैनिटाइज़र का पोस्टर लगा रखा है। फिर भी नियमों का कोई भी पालन नहीं हो रहा। यह सुनकर कंडक्टर चुप हो गया। वह आगे बढ़ा और माँ-बाप और एक छोटी बच्ची का किराया 75 रूपये माँगा। किराये को लेकर कंडक्टर और परिवार में काफी बहस हुई। फिर कंडक्टर ने महिला से कहा कि अगर वह किराया नहीं देगी तो वह बस से उतर जाएं।
बस में एक सुनैना नाम की महिला थी। जो अतर्रा से आ रही थी। वह भी सारी बातें सुनकर बोल पड़ीं। वह कहतीं हैं कि लॉकडाउन में किसानों के लिए तो कोई भी सुविधा नहीं है। बाज़ार जाओ तो 10 रूपये का सामान 15 में मिलता है। ऑटो में आओ तो बीस की जगह 25 रूपये लिए जाते हैं। किसानो का तो लॉकडाउन में बेहद बुरा हाल है। खेती भी नहीं हो रही। जैसे-तैसे मज़दूरी करके खर्चा चलता है। उनके लिए तो एक रूपये भी बहुत बड़ी बात है और बस वाले पांच रूपये बढ़ाकर लेते हैं। जबकि सवारी तो बस में भरी हुई है। फिर भी किराया बढ़ाकर लिया जा रहा है।
नरैनी ब्लॉक के सौंता गाँव के रामकिशोर का कहना है कि उनका तो आये दिन काम रहता है। प्राइवेट बस हो या ऑटो वाले, सबने लूट मचाई हुई है। दुकानदारों और बस वालों का तो काम चल रहा है। लेकिन इसमें सिर्फ गरीब जनता पिस रही है। अब यहां से सवाल उठता है कि जब जनता से दुगना किराया वसूला जा रहा है तो प्रशासन इसे लेकर कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठा रही? आखिर जनता दुगना किराया कैसे दे, जब न तो उनके पास रोज़गार है और न ही कमाई का कोई ज़रिया।
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