आपने अक्सर प्रधानों के भ्रष्टाचार के आरोप की ख़बरें सुनी होगी। ग्राम पंचायत के विकास को भेजी गई धनराशि का गबन उन्हीं लोगों ने किया जिन्हे जनता ने अपना प्रतिनिधि चुना। ऐसा ही एक और मामला जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी के अंतर्गत ग्रामपंचायत कल्ला का पुरवा, चकला गुरूबाबा से सामने आया है। यहाँ के केशव प्रसाद यादव का आरोप है की निवर्तमान प्रधान भीमराज यादव, और सचिव राजेश पटेल ने मेरे दरवाजे मेरे पैसे से लगवाए गये हैंडपम्प को सरकारी दिखा कर 75 हजार रूपये निकाल लिए हैं। लेकिन प्रधान ने अपने ऊपर लगे आरोप को झूठा और निराधार बनाया है।
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निजी हैंडपम्प को दिखाया सरकारी
केशव का आरोप है कि मैने अपने परिवार की सुविधा के लिए अपनी जमीन में हैंडपंप लगवाया है लेकिन प्रधान ने उस हैंडपम्प को सरकारी दिखाकर उसका पैसा निकाल लिया है। जब मुझे लोगों से इस बात की भनक हुई तो मैने आरटीआई डाली। उसमें साफ लिखा था कि हैंडपंप का 75 हजा़र 107 रूपये निकाला गया है। प्रधान कहते हैं कि यह सार्वजनिक हैंडपम्प है अगर सार्वजनिक है तो हमें हमारा पैसा दिया जाये। और हमारी जगह से कही और ग्राम समाज की जगह मे लगवाए। या फिर बजट निकाला गया है तो दूसरा हैंडपंप कही भी लगाए जिससे सरकारी पैसों का सही उपयोग हो। और लोगों को पानी की सुविधा मिल सके।
घोटाले की बात पर मुकर गये सचिव
गाँव के विकास का कोई भी कार्य प्रधान और सचिव द्वारा मिलकर कराया जाता है लेकिन सचिव राजेश पटेल का कहना है मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
75 हजा़र रूपये का गबन
निवर्तमान प्रधान भीमराज यादव ने अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा बताया है उनका कहना है कि आज के डेट में कोई भी धन बिना काम दिखाये नहीं निकाला जा सकता क्योंकि उसमें कई जांच होती है। उसका स्टीमेट बनवाया है स्थल का निरिक्षण कराया है तब जाकर पैसे निकलते हैं। हैंडपम्प ग्रामपंचायत से बना है और उसका पैसा केशव प्रसाद को 28 हजार नगद दिया गया था। लेकिन वह बोलते हैं की शौचालय का पैसा है। आजकल सारा काम सरकार के गाइडलाइन द्वारा होता है और सब कम्प्यूटर का सिस्टम है ऐसे में पैसा बिना जाँच के कैसे निकल जायेगा।
सरकार घोटाला रोकने के लिए चाहे जितनी जतन कर ले लेकिन ग्रामसभा में प्रधानों द्वारा घोटाले के मामले अक्सर सुनने को मिलते हैं। हमने ऐसी दर्जनों सटोरियों का कवरेज किया है जिसमें अलग-अलग घोटाले सामने आये हैं। कहीं शौचालय निर्माण में घोटाला तो कहीं आवास तो कहीं सड़क निर्माण में घोटाला के मामले सामने आये हैं।
अगर बात करें वाराणसी का तो वहां के खालिसपुर गाँव से शौचालय निर्माण में घोटाले का मामला सामने आया था। लोगों ने आरोप लगाया कि शौचालय सिर्फ दिखावे के लिए बने हैं उसमें बैठने की जगह नहीं है। 12 हजार शौचालय का पैसा मिलता है लेकिन सिर्फ 15 सौ पचास रूपये का ही मेटेरियल लगा है। जब लोगों ने पूरे पैसे की मांग की तो प्रधान ने बोला कि और पैसे हैं ही नहीं। ऐसे में कैसे सही बन पायेगा? सरकार कितना भी विकास के नाम पर पैसे दे दे लेकिन लोगों तक आते-आते वह घोटाले में लुप्त हो जाती है। यह तो महज उदहारण है ऐसे बहुत से घोटाले सामने आते हैं। यह जाँच का विषय है और इसकी जाँच होनी चाहिए।
यह आर्टिकल नाजनी रिजवी द्वारा रिपोर्ट और ललिता द्वारा लिखा गया है