जिला चित्रकूट कोतवाली कर्वी के अंतर्गत 20 फरवरी को गर्भवती महिला की प्रसव के दौरान की मौत की खबर सामने आयी है। परिवार का आरोप है कि यशोदा अस्पताल के डॉक्टर्स की लापरवाही की वजह से महिला की मौत हुई है। जानकारी के अनुसार, महिला का नाम दीपा था और कर्वी में वह अध्यापिका के रूप में कार्यरत थी।
जब वह गर्भवती हुई तो उसने छह महीने की छुट्टी ली और अपने ससुराल में रहने लगी। 19 फरवरी को महिला को दर्द उठा और उसे अस्पताल लेकर जाया गया। डॉक्टर का कहना था कि ऑपरेशन करना होगा। यह सुनकर परिवार ने डॉक्टर रफ़ीक अंसारी को सुझाव के लिए फोन किया। अंसारी का कहना था कि वह जिले में मौजूद नहीं है।
उसके बाद ऑपरेशन की तैयारी की गयी और 35 हज़ार रूपये भरने के लिए कहा गया। ऑपरेशन शुरू होने के बाद लगभग तीन बजे जब परिवार ने ज़बरदस्ती ऑपरेशन थिएटर में घुसकर देखा तो महिला की मौत हो चुकी थी। साथ ही महिला के भाई का कहना है कि ऑपरेशन के कमरे डॉक्टर रफ़ीक़ भी मौजूद थे, जबकि उन्होंने कहा था कि वह जिले से बाहर है। डॉक्टर पी डी चौधरी भी ऑपरेशन के दौरान मौजूद थे। परिवार का कहना है कि अस्पताल द्वारा उनसे 60 हज़ार रूपये और मांगे गए।
जिसे देने के लिए परिवार बिलकुल भी तैयार नहीं है। वह यह भी कहते हैं कि दीपा की मौत की सही वजह भी डॉक्टर्स द्वारा नहीं बतायी गयी है। वहीं यह भी आरोप है कि पुलिस द्वारा बार -बार मामले को आपस में सुलझाने के लिए दबाव डाला जा रहा है। यहां सवाल यह है कि आखिर महिला की मौत की सही वजह डॉक्टर्स द्वारा क्यों नहीं बतायी गयी? साथ ही रफ़ीक़ अंसारी जब जिले से बाहर थे तो वह ऑपरेशन थिएटर में कैसे आये? उन्होंने जिले से बाहर रहने को लेकर झूठ क्यों कहा ? पुलिस द्वारा मामले की कार्यवाही करने की जगह समझौते के लिए क्यों कहा जा रहा है?