खबर लहरिया ताजा खबरें इलाहाबाद का नाम बदलने पर बोले सीएम योगी, “तुम्हारे माँ-बाप ने तुम्हारा नाम रावण और दुर्योधन क्यों नहीं रख दिया”?

इलाहाबाद का नाम बदलने पर बोले सीएम योगी, “तुम्हारे माँ-बाप ने तुम्हारा नाम रावण और दुर्योधन क्यों नहीं रख दिया”?

फोटो साभार- एम योगी आदित्यनाथ फेसबुक पेज

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद के नाम को ‘प्रयागराज’ में बदलने का बचाव करते हुए कहा है कि यह नाम भारत में बड़ा महत्व रखता है और देश की गौरवशाली परंपरा के साथ सभी को जोड़ता भी है।
जब मैंने इलाहाबाद का नाम बदला था तो कुछ लोगों ने इस पर सवाल उठाये थे। कुछ ने यह भी कहा कि नाम में आखिर है क्या? तभी उन्होंने हरिद्वार में ज्ञान कुंभ के दूसरे दिन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘उनके माता-पिता ने कभी उन्हें रावण और दुर्योधन के नाम क्यों नहीं दिए’?
इलाहाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव के बाद 16 अक्टूबर को इलाहाबाद का नाम ‘प्रयागराज’ रखा गया था। इसे उत्तर प्रदेश कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिसमें विपक्षी दलों के फैसले पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था।
“इस देश में यह नाम बहुत महत्व रखता है। हमारे देश में, ज्यादातर लोगों ने राम को उनके नाम से जोड़ा हुआ है”। योगी ने ऐएनआई से बात करते समय कहा है कि, यह नाम हमे देश की परंपरा संग जोड़े रखता है।
आदित्यनाथ ने ये भी बताया है कि सरकार ने राज्य की क़ानूनी व्यवस्था को भी सुधारा है।
जैसे कि “हम जुर्म की संख्या को नियंत्रण में लाये हैं”। उनका ये भी कहना है कि अब राज्य में कोई अपहरण नहीं होता है, ना ही कोई दंगे और साथ ही में अब त्योहार भी शांतिपूर्वक मनाये जा रहे हैं।
उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के मुद्दे को भी उठाया और उन लोगों की आलोचना की जिन्होंने भारतीय करदाताओं के पैसे द्वारा संचालित उच्च शिक्षा संस्थान में “भारत को विभाजित” करने के नारे लगाये थे।
उन्होंने ये भी पूछा कि “जब पूरा देश भक्ति के साथ दुर्गा पूजा मनाता है, तो उस विश्वविद्यालय में हिरणश्यप की सालगिरह को चिह्नित करने के प्रयास किए जाते हैं। विजय दशमी के दौरान, देश भगवान राम की शानदार जीत का जश्न मनाता है, उस विश्वविद्यालय के लोग रावण की महिमा करते हैं। क्या हमने कभी सोचा है कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई है? ”
आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि भगवान राम के अस्तित्व के सबूत की मांग करना हमारी शिक्षा प्रणाली पर उपहास उड़ाने का एक उदाहरण है।
“जब लोग अपने धर्म के प्रतीक के सबूत मांगने लग जाते हैं तो शिक्षा की इस स्थिति का कोई और बुरा उदाहरण नहीं हो सकता है। साक्ष्य अभी भी वहीँ हैं और हमने उन्हें ये उपलब्ध में कराए हुए हैं। फिर भी वो सही निर्णय लेने में हिचकिचा रहे हैं, जिसका मतलब है कि मुद्दा कुछ और ही है, जिसका समाधान लोगों को खुद से ही ढूंढना है”, ऐसा योगी का कहना है।