WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2019 में टीबी के 24 लाख केस सामने आए और 79,000 लोगों की टीबी से मौत हुई। टीबी के मरीज़ों की संख्या उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी, महाराष्ट्र में 9 फीसदी, मध्य प्रदेश में 8, राजस्थान और बिहार में 7 फीसदी है।
ज़िला प्रयागराज के ब्लॉक शंकरगढ़ गांव गुलरहाई एवं गढ़कटरा के लोग बालू की चलाई करके अपना #रोज़गार चलाते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में इस काम को करके गाँव के कई लोग टीबी से ग्रसित हुए हैं। इन लोगों का कहना है कि बालू को छानने, बीनने और बोरी में भरने के दौरान सांस के ज़रिए बालू के अंदर पाया जाने वाला ज़हरीला पदार्थ सिलिका इनके शरीर में चला जाता है। और इसी कारण गाँव में कई लोगों को टीबी हो रहा है।
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इन लोगों के पास इस काम को करने के अलावा कोई दूसरा रोज़गार भी नहीं है, जिसके सहारे ये अपना घर चला सकें।
स्वास्थ मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अनुसार सरकार 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करा लेगी, लेकिन जबतक हमारे देश में बालू चलाई जैसे काम शारीरिक श्रम से होते रहेंगे तब तक इस बीमारी से छुटकारा पाना मुश्किल है।
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