प्रयागराज ज़िले के शंकरगढ़ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गाँव लौंक कला में ग्रामीणों ने हमें बताया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत गाँव के लोगों को आवास दिए गए थे। सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार अगर आवास बनाने के लिए लोग खुद ही मज़दूरी करना चाहते हैं तो उन्हें अलग से मनरेगा के अंतर्गत राशि दी जाएगी।
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प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत आवास की क़िस्त के साथ 90 दिन की श्रम राशि के रूप में 15 हजार, 575 रूपए का अतिरिक्त भुगतान मनरेगा की तरफ से किया जाता है, लकिन कई बार ये राशि समय से योग्य मज़दूरों तक नहीं पहुँच पाती। कुछ ऐसा ही हुआ इस गाँव के लोगों के साथ। लोगों ने बताया कि उन्हें आवास की क़िस्त तो मिली लेकिन मनरेगा की मज़दूरी आज तक नहीं मिली है।
कुछ ग्रामीणों ने तो उधार लेकर अपना आवास का कार्य पूरा किया है और अब इस उधार को चुकाने के लिए उन्हें सरकारी पैसे नहीं मिल रहे हैं। लोगों ने हमें यह भी बताया कि जब जब उन्होंने सचिव या प्रधान से मनरेगा की मज़दूरी न मिलने की शिकायत करी तब यह कह कर टाल दिया गया कि वो लोग बैंक जाकर खाता चेक करें। इन लोगों ने बैंक जाकर खाते भी चेक किये लेकिन अभी तक पैसे नहीं मिले हैं।
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गाँव के सचिव आशुतोष का कहना है कि गाँव में जिन लोगों के भी मनरेगा में मज़दूरी के पैसे नहीं आये हैं, उनकी सूची तैयार करके जल्द से जल्द उनके खाते में पैसे ट्रांसफर किए जायेंगे।
सरकार ने गरीब परिवारों की सहायता के लिए अपनी तरफ से योजनाएं तो कई चलाई हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ ये परिवार उठा पा रहे हैं या नहीं इसकी जांच करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। लौंक कला गाँव के लोग भी फिलहाल सरकारी योजनाओं के अंदर की इसी भूल भुलैया में कहीं खो कर रह गए हैं।
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