खबर लहरिया Blog प्रयागराज: संस्कृति में तेंदू के फल की मिठास

प्रयागराज: संस्कृति में तेंदू के फल की मिठास

पुराने जमाने में जब बाजार इतने पास नहीं थे और लोग प्रकृति के ज्यादा करीब थे, तब लोग एक-एक टोकरी तेंदू जंगल से तोड़कर लाते थे।

तेन्दु के फल की तस्वीर (फोटो साभार: सुनीता)

रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – कुमकुम 

जैसे ही गर्मी का मौसम आता है, प्रयागराज के शिवराजपुर इलाके के जंगलों में लोगों की चहल-पहल बढ़ जाती है। इसकी एक खास वजह होती है – तेंदू के फल का पकना। यह छोटा-सा जंगली फल का स्वाद मीठा तो होता ही है साथ में और गांव की कल्चर से जुड़ा हुआ है।

हर साल मई-जून के महीने में तेंदू फल पकता है। इस समय गांव के लोग जंगल में जाते हैं और तेंदू तोड़कर लाते हैं। यह फल साल भर में एक ही बार फलता है इसलिए इसे तोड़ने के लिए बच्चे, महिलाएं और बुज़ुर्ग सभी लोग जंगल जाते हैं और इसे तोड़ कर लाते हैं।

तेंदू फल क्या है

तेंदू एक जंगली पेड़ है जो भारत के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के जंगलों में भरपूर मात्रा में उगता है। इसका फल छोटा, गोल और गहरे पीले रंग का होता है। जब यह पकता है, तो उसका बेहद स्वाद मीठा और स्वादिष्ट होता है।

प्रयागराज के शिवराजपुर जंगल में तेंदू के फल का मौसम शुरू

शिवराजपुर के जंगलों में मई-जून के महीने में तेंदू फल पकने लगता है। गांव के लोग इस मौसम का बेसब्री से इंतजार करते हैं। वे सुबह-सुबह जंगल जाते हैं और पके व कच्चे दोनों तरह के तेंदू फल तोड़कर लाते हैं। पका हुआ तेंदू सीधे खाया जाता है। वहीं कच्चे तेंदू को भूसे में दबा दिया जाता है जिससे वह कुछ दिनों में पक जाता है और फिर उसे भी खाया जाता है।

पुराने जमाने में जब बाजार इतने पास नहीं थे और लोग प्रकृति के ज्यादा करीब थे, तब लोग एक-एक टोकरी तेंदू जंगल से तोड़कर लाते थे। इसके बाद इसे महीनों तक घर में रखा जाता था और पूरा परिवार धीरे-धीरे उसको बड़े चाव से खाते थे। आज भी गांव के बुज़ुर्ग व्यक्ति इस फल को याद करते हैं उनके लिए यह सिर्फ फल नहीं, बचपन की यादों, खेत-खलिहान और जंगल की कहानियों का हिस्सा है।

तेंदू का पेड़ ऊँचा और घना होता है। जब उसमें फल पकते हैं तो महिलाएं और पुरुष दोनों पेड़ों पर चढ़कर उन्हें तोड़ते हैं। यह मेहनत का काम जरूर होता है लेकिन जब मुट्ठी में पका तेंदू आता है तो सारी थकान मिट जाती है।

तेंदू की खीर है लोगों को पसंद

गांवों में लोग तेंदू फल को तेंदू की खीर बनाते हैं। तेंदू के बीज को पत्थर पर पहले कूटते है फिर कूटकर चावल जैसा बनाया जाता है। इसके बाद फिर दूध में पकाकर मीठी खीर तैयार की जाती है। यह खीर केवल स्वादिष्ट ही नहीं होता है बल्कि पोषण से भरपूर भी होता है।

तेंदू की औषधीय खासियत

तेंदू सिर्फ खाने में स्वादिष्ट नहीं होता है बल्कि यह दवा की तरह भी काम आता है। इसके सूखे छिलके को पीसकर लोग पाउडर बना लेते हैं। जब किसी के मुंह में छाले हो जाते हैं, तो वे यह चूर्ण छालों पर लगाते हैं इससे आराम मिलता है। गांव के लोग इस घरेलू नुस्खे को आज भी अपनाते हैं। तेंदू के छिलका थोड़ा कड़वा जरूर होता है। लेकिन घाव भरने में मदद करता है।

तेंदू का फल स्वास्थ्य में भी लाभदायक

तेंदू फल सिर्फ स्वाद में ही नहीं स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। पाचन में सहायक यह फल फाइबर से भरपूर होता है जो पाचन क्रिया को सुधारता है। इसमें प्राकृतिक शर्करा होती है जिससे शरीर को ताजगी मिलती है। तेंदू का इस्तेमाल करने से त्वचा भी चमकदार होती है। तेंदू का फल गर्मी में यह शरीर को ठंडक देता है खासकर जब धूप तेज होती है।

जंगलों में तेंदू अकेला ऐसा फल नहीं है जो मौसम में पकता हो। हर फल का अपना मौसम होता है। जैसे कैटैया, बेर, बरारी, गुड़सकरी, चिरौंजी और बहेरा ये सभी जंगली फल अपने-अपने समय पर पकते हैं।

 

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