प्रयागराज के जसरा ब्लॉक के घूरपुर गांव में कई ईंट भट्ठे हैं जहाँ 45°C तापमान में मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। पतेपुर के जगदीश बताते हैं कि “जुलाई का काम” सबसे कठिन और खतरनाक होता है। एक छोटी सी चूक पूरे जीवन पर भारी पड़ सकती है। धूप ऊपर से, आग नीचे से — शरीर का खून तक सूख जाता है। फिर भी मज़दूर यह काम इसलिए करते हैं क्योंकि इसमें मेहनताना बेहतर मिलता है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता है — बरसात के मौसम में चार महीने तक कोई काम नहीं होता। सुरक्षा के नाम पर बस एक लकड़ी की चप्पल मिलती है। यह कहानी है मजबूरी की, मेहनत की, और अनदेखी तकलीफों की।
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