लाल व तेल युक्त गन्दा पानी पीने की वजह से गांव में अभी तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है। किसी की मौत फेफड़े की वजह से, किसी की टीबी की वजह से तो वहीं तीन लोगों की मौत डायरिया से हुई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पानी और स्वास्थ्य का मुद्दा गंभीर होने के साथ-साथ चिंतनीय है। योजनाओं और विकास कार्यों की बात छोड़ों, इन पिछड़े क्षेत्रों के लोगों के पास संसाधनों तक की पहुंच नहीं है। पहले पानी की प्यास और फिर उस पानी से स्वास्थ्य पर होने वाला असर। ऐसा कहने की वजह है, गन्दा पानी।
प्रयागराज जिले के शंकरगढ़ ब्लॉक में आने वाले गांव के लोगों की पहुंच फिलहाल ज़मीन से निकलने वाले गंदे पानी तक ही है। इस पानी को पीकर लोग बीमार भी हो रहे हैं लेकिन क्योंकि पीने के लिए सिर्फ यही पानी है तो बेशक वह उन्हें बीमार कर रहा हो फिर भी वह उस पानी के इस्तेमाल को छोड़ नहीं सकते।
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गंदे पानी से 5 लोगों की हो चुकी है मौत
पानी की बात करें तो शंकरगढ़ ब्लॉक के बडगडी गांव, मजरा नई बस्ती, नीबी काटा पायनियर और लौंककला के ग्रामीण गन्दा पानी पीने की वजह से बीमार हो रहे हैं। गांव नई बस्ती में 500 की आबादी है और इतनी आबादी में बस एक ही हैंडपंप है जिससे गन्दा पानी निकलता है। यह पानी लाल रंग का होता है जिस पर तेल की तरह चिकिनी परत जमी होती है।
गांव की महिला गायत्री ने कहा, हम लोगों ने गांव के प्रधान से कहा था कि बोर लगवा दीजिए लेकिन उस बोर से भी गंदा पानी निकल रहा है। खबर लहरिया को मिली जानकारी के अनुसार, लाल व तेल युक्त गन्दा पानी पीने की वजह से गांव में अभी तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है। किसी की मौत फेफड़े की वजह से, किसी की टीबी की वजह से तो वहीं तीन लोगों की मौत डायरिया से हुई है।
खाने का रंग भी हो जाता है लाल
सीमा नाम की महिला ने बताया कि उनके पास इलाज के लिए भी पैसे नहीं है। वह लोग चावल भी उस लाल रंग वाले पानी में पकाते हैं। उस पानी से कपड़ा धोते हैं तो सफ़ेद कपड़ा भी लाल हो जाता है। अगर उस पानी से नहा लेते हैं तो शरीर में खुजली उठ जाती है। बाल्टी में वह पानी भरो तो बाल्टी भी लाल हो जाती है। वह यह पानी पीने के लिए मज़बूर हैं। कोई अधिकारी, कोई नेता उनके यहां नहीं आता।
पानी की समस्या दूर करने की है कोशिश – प्रधान
गाँव के प्रधान शेर सिंह ने खबर लहरिया को बताया, नई बस्ती में जो एक हैंडपंप है जिससे गन्दा पानी निकल रहा था इसके निवारण के लिए उन्होंने दूसरी जगह बोर करवा दिया था। अब वह क्या कर सकते हैं। कुएं भी सूखे हुए हैं। टैंकर वाले पानी के लिए भी उन्होंने मीटिंग में कई बार आवाज़ उठाई है। यहां तक की सप्लाई वाले पानी के लिए भी सर्वे हो गया है। उन्हें नहीं पता समस्या कब दूर होगी।
इसके अलावा जहां तक बात रही गंदे पानी से होने वाली घटनाओं की, उसे लेकर प्रधान ने कहा कि जब ये घटनाएं हुई थीं उस समय वह प्रधान नहीं थे। अभी फिलहाल में तो कोई घटना नहीं हुई है। बाकी वह गर्मी में पानी का टैंकर पहुचाएंगे।
पानी के लिए हो रहा सर्वे
ग्रामीण जल निगम के जूनियर इंजीनियर अजीत ने बताया कि शंकरगढ़ में एक साल से सर्वे हो रहा है। जैसे ही प्रोसेस पूरा होगा, काम शुरू हो जाएगा। 76 ग्राम पंचायतें हैं, सब का सर्वे होगा। पथरीला इलाका है, पानी के लिए हर जगह टोटी वाला नल चाहिए। घटना पहले हुई होगी, इस बारे में वह कुछ नहीं सकते।
पानी, पानी से जुड़ा स्वास्थ्य और उनके नाम पर होने वाले सालों साल चलने वादे जिनमें आज तक कुछ ख़ासा फर्क देखने को नहीं मिला। समस्या भी वैसी की वैसी है और वादे भी।
इस खबर की रिपोर्टिंग सुनीता देवी द्वारा की गयी है।
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