जिला प्रयागराज शंकरगढ़ थाना क्षेत्र में एक ऐसा गांव है जहाँ आज भी लड़किया खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। यही कारण है कि उनके घरवाले उन्हें कक्षा आठ के बाद आगे स्कूल नहीं भेजते।
गांव से 12 किलो मीटर की दूरी पर स्कूल मौजूद है और स्कूल जाने का रास्ता जंगलों से घिरा हुआ है। ऐसे में इस रास्ते पर कई बार लड़कियों के साथ बलात्कार, छेड़खानी इत्यादि के मामले सामने आए हैं। ग्रामीणों को यही डर लगा रहता है कि अगर उनके घर की बच्चियां स्कूल गयीं तो उनके साथ भी ऐसा कोई हादसा हो सकता है। और यही कारण है कि गांव की लड़कियों की पढाई आठवीं के बाद बंद हो जाती हैं।
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इन लड़कियों की मानें तो ये तो आगे पढ़ना चाहती हैं, स्कूल जाना चाहती हैं लेकिन परिवार का डर इन्हें आगे पढ़ने से रोक रहा है। लोगों ने बताया कि स्कूल जाने के रास्ते पर कई बार इस तरह के हादसे हुए हैं और एक बार तो बलात्कार के बाद एक लड़की को जान से भी मार दिया गया था। यहाँ तक कि यह रास्ता इतना सुनसान है कि कई दिन तक ढूंढने के बाद उस लड़की की लाश मिल पाई। इसी तरह की घटनाओं के कारण ग्रामीण लड़कियों को आगे पढ़ने भेजने से कतरा रहे हैं।
बारा के क्षेत्राधिकारी सन्त लाल सरोज का कहना है की उनके थाने से 112 नम्बर की गाड़ी उसी जंगल क्षेत्र में हर समय मौजूद रहती है। और खासकर स्कूल की टाइमिंग के दौरान पुलिस और सतर्क हो जाती है इसलिए ग्रामीणों को बिलकुल भी घबराने की ज़रुरत नहीं है।
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