गांव गुलराहाई के सुमन और शांति का कहना है कि “घर में किसी एक को आंख (आई फ्लू) आ जाती है तो बारी-बारी से एक दूसरे के हो जाती है। इससे बहुत ज्यादा दिक्कत होती है, आंख दर्द होती है, आंसू बहता है, किसी को देख नहीं पाते और न चूल्हे में खाना बना पाते हैं। सबसे ज़्यादा तो महिलाओं को दिक्कत है क्योंकि ज़्यादातर गांवो में चूल्हे में ही खाना बनता है।
रिपोर्ट – सुनीता
बरसात आने के साथ ही कई तरह की बीमारियां हमारे शरीर को घेर लेती हैं और हमारे आस-पास तेजी से फैलने लगती हैं। ऐसे ही तेजी से फैलने वाला वायरल फ्लू है आई फ्लू, इसे कई जगह ‘आंख आना’ भी कहते हैं। इसमें आंख लाल होना, खुजलाना, दर्द आदि की समस्या होती है। आई फ्लू का खतरा ज्यादातर उत्तर प्रदेश के ग्रामीण प्रयागराज क्षेत्र के गांव बडगडी शंकरगढ़ व गुलराहाई क्षेत्र के गांव के ग्रामीण और बच्चों में दिखाई दे रहा है। यहां की आबादी लगभग दो हजार है। इस गांव में आठ लोग इस फ्लू से ग्रसित है। जानकारी के अनुसार ग्रामीण के साथ कई बच्चे भी आई फ्लू बीमारी के चपेट में आए हैं। यह बीमारी एक दूसरे से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है।
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महिलाओं को आई फ्लू होने पर मजबूरन करना पड़ता है घर का काम
गांव गुलराहाई के सुमन और शांति का कहना है कि “घर में किसी एक को आंख (आई फ्लू) आ जाती है तो बारी-बारी से एक दूसरे के हो जाती है। इससे बहुत ज्यादा दिक्कत होती है, आंख दर्द होती है, आंसू बहता है, किसी को देख नहीं पाते और न चूल्हे में खाना बना पाते हैं। सबसे ज्यादा तो महिलाओं को दिक्कत है क्योंकि ज्यादातर गांव में चूल्हे में ही खाना बनता है तो इस समय बरसात का मौसम भी है इतना ज्यादा लकड़ी घर पर नहीं होती है, कंडे से खाना बनाते हैं। कंडे से इतना ज्यादा धुआं उठता है कि महिलाएं तो खाना नहीं बना सकती लेकिन मजबूरन बनाना पड़ता है जिससे ऑंखें दुखने लगती हैं।”
आई फ्लू से स्कूल के बच्चों पर प्रभाव
प्राइमरी में पढ़ने वाले मोनू का कहना है कि “इस समय आज पन्द्रह दिन से आंख वाली बीमारी इतनी ज़्यादा फैली है कि अगर स्कूल में एक बच्चे को होती है तो बच्चे का आंख देखने से दूसरे बच्चे को भी हो जाती है और दूसरे से तीसरे को।”
ऐसे तो ये बस कहने को है कि ये आंखों में देखने से हो जाता है क्योंकि इसका संक्रमण आंखों पर लगाए हुए हाथ जब किसी अन्य चीज को छूते हैं तो वो बैक्टीरिया फैल जाता है जिससे उस व्यक्ति को भी आई फ्लू हो जाता है।
लोगों का कहना है कि जब आंख आ जाती है तो बच्चे स्कूल नहीं जाते और न कोई किताब पढ़ पाते हैं क्योंकि देख नहीं पाते हैं। आंख लाल होने के साथ सूज जाती है। बच्चे देखने या पढ़ने की कोशिश करते हैं तो आंख से पानी आने लगता है।
आई फ्लू के लक्षण, बचाव और कारण
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर अभिषेक सिंह का कहना है कि “यह आई फ्लू का संक्रमण बरसात, उमस भरी गर्मी में फैलता है। आस-पास गंदगी होने की वजह से इन्फेक्शन होने का डर रहता है। जब गंदे हाथ आँखों पर लग जाते हैं तो बैक्टीरिया आँखों में प्रवेश कर जाता है। जिस कारण ऑंखें लाल होने लगती है, जलन, खुजली, आँखों का बहना, आँखों में सूजन जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। आई फ्लू होने पर काला चश्मा पहने ताकि रोशनी कम लगे और हाथ भी आँखों पर बार-बार न लगे।
पिछले साल बहुत तेजी से ये बीमारी फैली थी इस साल है पर कम है। इस तरह के पेशेंट हमारे अस्पताल में दस आए हैं यदि बीमारी फैलेगी तो हम गांव और स्कूल में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजेंगे ताकि ज्यादा बीमारी न फैलने पाए।”
स्वास्थ्य विभाग नहीं दे रहा ध्यान
यहां के लोगों का कहना है कि हम लोग अपने हिसाब से प्राइवेट या सरकारी अस्पताल में दवा करवाते हैं तो थोड़ी बहुत राहत मिल जाती है लेकिन इस पर अभी तक स्वास्थ्य विभाग के तरफ से कुछ भी सुविधा नहीं दी गई है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से गांव में और स्कूल में हर जगह सर्वे होना चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए कि ऐसे में आई फ्लू न हो और इससे कैसे बचा जा सकता है?
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