जब गांव में पानी का सप्लाई था तो लोगों को बहुत आराम था। बच्चे, बुर्जुग सभी लोग पानी भर लेते थे। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण वैसे भी हैण्डपम्प में पानी नहीं निकलता, कम से कम आधा घंटा हैण्डपम्प चलाओ तभी पानी निकलता है। एक-दो साल तक पानी मिला पर फिर वही हालत हो गई।
रिपोर्ट – सुनीता देवी
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के गांव बिहरिया में दो साल से बिजली के खंभे गिरे हुए हैं जिससे गांव के लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। इस गांव की आबादी कम से कम 3000 है और लगभग 500 पानी के कनेक्शन हैं। ऐसे तो सरकार ने गरीबों के लिए मुफ्त में बिजली की सुविधा देने के लिए सौभाग्य योजना चलाई थी। इस योजना के तहत गांव में बिजली के खंबे तो लग गए लेकिन उनके टूटने पर कभी उन बिजली के खंभों की हालत देखने नहीं गया, न ही उसे सुधारा गया। आज भी इस गांव में बिजली के खंभे पड़े हुए हैं। बिजली के तार टूटने से लोगों को सप्लाई का मिलने वाला पानी भी नहीं मिल पा रहा है। लोगों को दूर से पानी लाना पड़ता है।
ब्लॉक शंकरगढ़ गांव बिहरिया की रामरती का कहना है कि “आज लगभग दो साल से पानी की टंकी के पास लगाया हुआ बिजली का खंभा आंधी तूफान में टूट गया और गिर गया। आज तक उसे बनाया नहीं गया है, इस कारण से गांव में सप्लाई वाला पानी नहीं जाता है। लोग पानी के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं। हैंडपंप में पानी भरने के लिए लम्बी लाइन लगती है। यदि इधर-उधर का पानी पी लेते हैं तो सर्दी जुकाम, बुखार हो जाता है।”
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ट्रांसफार्मर पर खंभा गिरने से सप्लाई के पानी में बाधा
गांव के लोगों ने बताया कि सप्लाई की टंकी बस नाम के लिए लगा दी है। सौभाग्य योजना के तहत घर-घर पानी, बिजली का कनेक्शन है। गांव में दो साल से बिजली नहीं आयी थी, लोग काफी परेशान हुए। जो बोरिंग का सप्लाई है वहां ट्रांसफार्मर पर बिजली का खंभा गिर पड़ा। कम से कम बीसों खंभे टूट गए हैं। बिजली के नाम पर सिर्फ बजट खर्च हुआ है। गांव के विकास के लिए कोई काम नहीं हुआ है। पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से यहां पानी की बहुत किल्लत है। पानी की सुविधा भी हुई तो लोगों को कोई फायदा नहीं मिला। कुछ गांव के लोग किसी तरह जुगाड़ कर के बिजली का इंतजाम करते हैं, पर घर पर लगी पानी की टंकी में पानी आए कैसे?
जब गांव में पानी का सप्लाई था तो लोगों को बहुत आराम था। बच्चे, बुर्जुग सभी लोग पानी भर लेते थे। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण वैसे भी हैण्डपम्प में पानी नहीं निकलता, कम से कम आधा घंटा हैण्डपम्प चलाओ तभी पानी निकलता है। एक-दो साल तक पानी मिला पर फिर वही हालत हो गई।
खबर लहरिया की रिपोर्ट के अनुसार, शंकरगढ़ क्षेत्र में वैसे भी जितने गांव हैं वहां पानी की किल्लत है। आदमी, जानवर पानी के लिए भटकते नज़र आते हैं। इस गांव में सभी किसान और अधिकतर लोगों के पास जानवर हैं। जानवरों के लिए भी पानी नहीं मिल पाता है।
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दूर से पानी लाने पर काम में होती है देरी
दूर से पानी लाने में समय तो लगता है जिससे काम में देरी होती है। वक्त पर खाना नहीं बनता, बच्चे समय से स्कूल नहीं जा पाते और काम पर जाने में भी देरी हो जाती है। गर्मी में तो और दिक्कत होती है क्योंकि पीने के लिए ज्यादा पानी भी चाहिए होता है और पानी न मिलने पर स्वास्थ पर असर पड़ता है।
प्रधान लक्ष्मी सिंह का कहना है कि हमने अपनी तरफ से बिजली विभाग में सूचना दी पर कोई अधिकारी ध्यान नहीं दिया।
बिजली विभाग ने जल्द काम चालू करने का जताया भरोसा
शंकरगढ़ के बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर रवि प्रकाश का कहना है कि “यहां के बिजली कनेक्शन लगभग डेढ़ सौ है। सौभाग्य योजना के तहत बिहरिया गांव में बिजली के खंभे और तार लगाने का ठेका दिया गया था। पहाड़ी क्षेत्र में गड्ढा ज्यादा नहीं खुदा था इसलिए खंभा अधिक नीचे तक नहीं गड़ पाया। मई के महीने में आंधी तूफान आया बिजली के सभी खंभे गिर गए। अब दोबारा से बहुत जल्द काम लगाया जायेगा। हमारे पास शिकायत भी आ चुकी है, बहुत जल्द बिजली शुरू हो जाएगी।
गांव के लोगों ने यह भी कहा, “कई बार बिजली विभाग को ज्ञापन दिया कि सप्लाई के लिए बिजली का खंबा, तार लगवा दिया जाये तो हम लोग को पानी पीने के लिए मिलने लगेगा पर कोई नहीं सुनता। जब हम लोगों को पानी नहीं मिलता हम लोग बिल भी नहीं जमा करेंगे।”
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