कूड़े पर मक्खियां चलती रहती है और वही मक्खियां फिर घर में आती है और खाने पर बैठते हैं। इससे उल्टी-दस्त, मलेरिया, डेंगू और अन्य बीमारी फैलने का डर बना रहता है।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – सुचित्रा
प्रयागराज के शंकरगढ़ नगर पंचायत क्षेत्र के एक मोहल्ले में कूड़ा डंपिंग को लेकर स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश और चिंता का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से पूरे शहर का गीला और सूखा कचरा इसी मोहल्ले में फेंका जा रहा है, जिससे मोहल्ले में गंदगी बढ़ गई है। इस वजह से लोगों का रहना मुश्किल हो गया है, खासकर बारिश के मौसम में जब बीमारियों का खतरा और बढ़ जाता है।
कूड़े से बीमारी का डर
सुमन नामक निवासी बताती हैं कि पिछले दस वर्षों से इसी हालात को झेल रहे हैं। करीब 50 घरों वाले इस मोहल्ले के पास ही डूडा कॉलोनी भी बसी हुई है। यहीं से लखनपुर, गुलराहाई सहित कई गांवों के लोग रोजाना गुजरते हैं। सड़कों पर फैले कचरे की वजह से लोगों को नाक बंद करके निकलना पड़ता है, जबकि मोहल्ले के निवासी इस गंदगी में 24 घंटे रहने को मजबूर हैं। कूड़े पर मक्खियां चलती रहती है और वही मक्खियां फिर घर में आती है और खाने पर बैठते हैं। खाने को कितना ढक कर रखो फिर भी वे आ ही जाती है। इससे उल्टी-दस्त, मलेरिया, डेंगू और अन्य बीमारी फैलने का डर बना रहता है।
स्कूली बच्चों को परेशानी
शिला नाम की छात्रा बताती है कि वह एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ती है। रोज इसी गली से स्कूल जाती हैं। रास्ते में इतना गंदा कचरा पड़ा रहता है कि नाक बंद करके साइकिल चलानी पड़ती है। मजबूरी में इसी रास्ते से जाना पड़ता है, क्योंकि अगर हम शिवराजपुर की ओर से घूमकर जाएंगे, तो दूरी कम से कम दस किलोमीटर हो जाती है। इस रास्ते से जाने पर केवल पांच किलोमीटर ही पड़ता है, इसलिए यहीं से गुजरते हैं। अगर कभी गलती से उस गंदगी की तेज़ बदबू सूंघ लेते हैं तो पूरा दिन जी मिचलाता रहता है और उल्टी जैसा मन करता है। एक दिन में कम से कम पचास से ज्यादा बच्चे इसी रास्ते से स्कूल जाते हैं। सड़क पर चारों तरफ कचरा फैला रहता है। सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के मौसम में होती है, जब कीचड़ और बदबू और भी ज्यादा हो जाती है।
महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित
रानी ने बताया कि कई बार कूड़ा फेंकने वाले लोगों को कोई और जगह नहीं मिलती तो घर के सामने ही गीला कचरा फेंक देते हैं। इससे बदबू और गंदगी इतनी फैल जाती है कि घरों के अंदर तक मक्खी-मच्छरों का आतंक हो जाता है।
कचरे से जानवर भी बीमार
राजेश ने बताया कि कूड़े के ढेर पर जानवर खाना ढूंढते हैं, जिससे कई बार बीमार पड़ जाते हैं। कई जानवरों की मौत भी हो चुकी है। उनके अनुसार शंकरगढ़ नगर पंचायत के वार्ड 1 से 12 तक की पूरी आबादी का कचरा इसी एक जगह फेंका जाता है। पिछले साल इसी गंदगी की वजह से उनकी पत्नी और बच्चे को कॉलरा (डायरिया) हो गया था, इलाज में हजारों रुपये खर्च हो गए।
गर्मी में हालात और भी बदतर
कौशिल्या बताती हैं कि गर्मी के मौसम में जब हवा चलती है, तो कचरे के पन्नी उड़-उड़ कर घरों में घुस जाती है। कई बार तो खाना खाते वक्त थाली में भी कचरे का पानी गिर जाता है। बच्चों के इस्तेमाल किए गए डायपर, घरेलू नाली का गंदा कचरा और प्लास्टिक की थैलियां घरों के अंदर तक पहुंच जाती हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
नगर पंचायत से मिला भरोसा
शंकरगढ़ नगर पंचायत की चेयरमैन पार्वती कोटार्य का कहना है कि पहले यह जगह कूड़ा फेंकने के लिए तय की गई थी, लेकिन अब जब वहां बस्ती बस गई है तो थोड़ी दिक्कत तो हो रही है। उन्होंने कहा कि कोशिश की जा रही है कि कूड़ा कुछ दूर फेंका जाए और जहां कचरा ज्यादा फैला है वहां दवा का छिड़काव कराया जाए। चेयरमैन ने भरोसा दिलाया कि बरसात से पहले इस समस्या का हल निकाला जाएगा।
एक ओर मोहल्ले के लोग वर्षों से गंदगी, बीमारी और बदबू झेल रहे हैं लेकिन सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं देती। खुले में फेंके गए कचरे पर्यावरण के लिए भी बहुत खतरनाक साबित होते हैं क्योंकि कई बार लोग कूड़े को कम करने के लिए आग लगा देते हैं जिसकी वजह से पन्नियों और प्लास्टिक से निकलने वाली गैस हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण फैलता है।
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