द कविता शो, एपिसोड 73
इस एपीशोड में आपका स्वागत है साथियों जनवरी माह से कुंभ मेला चल रहा है इसके लिए हमारी यूपी की सरकार करोड़ों रूपये के बजट लगा कर कुम्भ की तैयारी बड़े ही जोरों पर करी है पूरा इलाहाबाद और गंगा घाट भगुवा रंग से रंगे हैं जिधर नजर फेरों एक ही कलर दिखाई देता है भगुवा
कहते हैं कि ज़िन्दगी में कयी कलर हो तो जिन्दगी खुशहाल हो जाती है लेकिन हमारी सरकार जनता को सिर्फ एक कलर में क्यों रंगना चाहती है और वो भी ऐसा रंग जो आंखों में चुभता हो जो रंग से खुशी न मिलती हो वो रंग हमारे किस काम का
कहते हैं हाथी के चार दांत होते हैं खाने के अलग और दिखाने के अलग ठीक वैसे ही योगी का हाल है दिखाने के लिए तो कुम्भ का ऐसा प्रचार करवा रही है मानो जनता को और बेरोजगारों की किस्मत ही बदल जाएगी लेकिन ऐसा सच में हैं नहीं गुड दिखा कर ईट मारने के बराबर है कुम्भ का मेला मेला में जोलोग दुकान लगाये हैं उनको दिनभर की मजदूरी भी नहीं निकल रही है क्योंकि उनकी बिक्री ही नहीं हो रही है अरे भाई बिक्री तो तब होगी न जब कुम्भ में लोग होगे
अन्य मीडिया की खबरें हमने शोशल मीडिया पर देखी जहां पर बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जा रहा है कि कुम्भ में लाखों और करोड़ों की संख्या में लोग नहाने जा रहे हैं बहुत भीड़ है नागाओं और किन्नरो के लिए अलग से अखाड़े लगाये गयें है पंडाल सजाये गये इस लिए हमने सोचा चलों देखते भई हम भी और खबर लहरिया की टीम भी पहुंच गयी योगी के महा कुम्भ का जायजा लेने जहां पर व्यवस्था तो नम्बर वन बताया लोगों ने ले वो भी सिर्फ़ दिखावटी जो असल व्यवस्था होनी चहिए वो तो है नहीं सिर्स रंगाने पुताने भर से व्यवस्था नहीं होती लोगों के आने जाने को भी तो व्यवस्था में गिनते हम जहां पर लोगों को 15 किलो मीटर पैदल चल कर घाट तक पहुंचना होता है वहां के लिए साधन की व्यवसू क्यों नहीं की गईमहां कुम्भ के नाम से इतना प्रचार है लेकिन जब हमने इस पर रिपोर्टिंग की और लोगों और मेरे गये महंतो से पूछा तो उन्होंने बतिया कि ये महा कुम्भ नहीं है अर्ध कुंभ है हमारी सरकार अपने आप इसे यहां कुम्भ बता रही हैं ताकि इसके बहाने वोट की राजनीति भी हो सके
मैं पूछता चाहती हूं सरकार से कि वो धर्म के नाम पर इतना पैसा क्यों पानी में बहा रही है जितना पैसा कुम्भ के तैयारी और सजावट में लगाया गया है वो पैसा अगर देश के खेती किसानी और पैदावारी को बढ़ाने में लगाया जाता तो सबका भला होता
अन्ना गायों के लिए अच्छे से चारा भूसा और पानी की व्यवस्था हो जाती तो तड़प तड़प कर न किसान मरते न जानवर
जिनके घर में चूल्हे नहीं जलते पेट में खाना पानी नहीं पहुंच रहा है उनको ऐसे कुम्भ से क्या लेना देना है कुम्भ नहाने से न तो किसी का पेट भरता है न ही पाप धुलते हैं अब जनता इतनी भी वेवकूफ नहीं है कि अर्ध कुंभ को आपके कहने पर यहां कुम्भ समझेगी और अपनी रोटी का जुगाड छोड़ कर कुम्भ नहाने जायेगी आपकी वोट की राजनीति सब समझ रहें हैं मोदी जी और योगी जी
हाय कविता बहुत बढिधया लिखा हैऐसा लग रहा की तुमने सब कुछ मेरी आखों सज देखा है ।सारी बाते हैं इस में कुछ चीजे प्रशासन की जोड़ सकते हो ।
पुलिस फोर्स तो बहुत लगाई गईहै 40जिलों से बुला कर लेकिन उन जिलो की व्यवस्थाके बारे मेंकुछ नहीं सोचा गया की अधिकारी और कर्मचारी चले जायेगे तो वह काम कौन करेगा।
दूसरी बात कुंभ में अन्य विभाग के कोई कर्म चारियों की डियूटी नहीं लगी पर जिले के विभाग खाली होते जिससे जनता अपना काम के लिए भटकी रहती है।वहां तो इलाहाबाद के अलावा कोई प्रशासनीक लोग नहीं दिखे।
सब से ज्यादा शौचालय में पैसा खर्च किया है सरकार ने पर सफाई करनेवालो के लिए कोई व्यवस्था नहीं है उनको एक महीनें में वेतन भी नहीं मिली। जिससे परिवार को चलाना मुश्किल हो रहा है।जो ठेकेदार उनको लाये थे यह कह कर की फूल पत्ती लगना है या समेटना है ।पर यहां उनसे शंचालय साफ करवा रहे हैं जो की उनका काम और जाति नहीं है।15हजार में24घंटे लोग काम कर रहे हैं।
धर्म और हिंदूत्वादी बढा़ बस किया गया हैजगह जगह पर मोदी और योगीके काम की बढा़ई चैनलों में दिखाये जाते है जगह जगह बडी़ बडी़ गडि़या खड़ी हैं जिससे लोगोंको लछभाया जा रहा है कि कितना अच्छा काम किया है।