उतर प्रदेश के उपमुख्य मंत्री डाक्टर दिनेश शर्मा ने 29 नवम्बर को कहा कि जल्द ही प्रदेश के हर पन्द्रह किलोमीटर की दूरी पर कौशल विकास केन्र्द खुलेंगे जिसकी संख्या 2700 होगी ताकि युवायों को पढाई के बाद रोजगार के लिए भटकना ना पड़े और नौकरी आराम से मिल सके। कुछ लोगो को पढाई के साथ कौशल विकास केंद से जोड़ा जायेगा जिससे वह अपनी पढाई पूरी कर सके।
भारत युवायों का देश है, युवा बदलते परिबेश में आधुनिक बनें लेकिन अपनी पुरातन और साहित्य विरासत से जुड़ कर चलें क्यों की साहित्य संगीत कला के बिनापूर्ण नहीं होता है। पर मंत्री जी ने यह क्यों नहीं सोचा कि जो अभी तक केन्र्द खुले भी है उनमे कितना विकास हो पाया है। कहा जाता है की युवायों को नौकरी जरुर से मिलेगी पर मेरे पास जो उदाहरण है उसको सुनकर शायद मंत्री जी को समझ आएगा की आखिर में सच्चाई क्या है। इन केंर्दो पर युवा जाते तो है, छह-छह महीनें फ़ीस जमा करके प्रशीक्षण लेते हैं और फिर छह महीने के बाद मजदूरी करते हैं या घर पर बैठ जाते हैं क्योंकि इन्हें नौकरी नहीं मिलती है। अगर मिलती भी है तो अपने जिले से हट कर अन्य जिलों में और अन्य राज्य में ही मिलती है, उसमे भी वेतन 7000 रूपये दिया जाता है जिस वजह से चाहते हुए भी लोग नौकरी नहीं कर पाते हैं। बाहर रहकर क्या खाएगे और क्या बचायेगे यह सोच कर रह जाते है बेरोजगार लोग। चित्रकूट, बाँदा में भी यह क्रेंद्र चल रहे है पर अभी तक न के बराबर लोगों को नौकरी मिली है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना भारत सरकार की एक योजना है जिसे जुलाई 2015 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत 2020 तक एक करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) देने की योजना बनाई गई थी। इस योजना का उद्देश्य ऐसे लोगों को रोजगार मुहैया कराना है जो कम पढ़े-लिखे हैं या बीच में स्कूल छोड़ देते हैं।
इस योजना में तीन महीने, छह महीने और एक साल के लिए रजिस्ट्रेशन होता है। कोर्स पूरा करने के बाद सर्टिफिकेट दिया जाता है। यह प्रमाणपत्र पूरे देश में मान्य होता है।
इस योजना का उद्देश्या देश में सभी युवा वर्ग को संगठित करके उनके कौशल को निखार कर उनकी योग्ता्नुसार रोजगार देना है। इस योजना के अंतर्गत पहले वर्ष में 24 लाख युवाओं को शामिल किया जाएगा। इसके बाद 2022 तक यह संख्या 40.2 करोड़ ले जाने की योजना है। इसके अलावा इस योजना से लोग अधिक से अधिक जुड़ सकें, इसके लिए युवाओं को ऋण प्राप्तइ करने की भी सुविधा है।
इस काम के लिए और लोगों को इस योजना से जोड़ने के लिए सरकार ने कई टेलिकॉम कंपनियों को इस कार्य के लिए अपने साथ जोड़ रखा है। यह मोबाइल कंपनियां मैसेज के द्वारा इस योजना को सभी लोगों तक पहुंचाने का कार्य करती हैं। इस योजना के तहत मोबाइल कंपनियां योजना से जुड़े लोगों को मैसेज करके एक फ्री ट्रोल नंबर देंगी जिस पर कैंडिडेट को मिस कॉल देना होता है। मिस कॉल के तुरंत बाद आपके पास एक नंबर से फोन आएगा जिसके बाद आप आईवीआर सुविधा से जुड़ जाएंगे। इसके बाद कैंडिंडेट को अपनी जानकारी निर्देशानुसार भेजनी होगी। आपके द्वारा भेजी गई जानकारी कौशल विकास योजना के सिस्टोम में सुरक्षित रख ली जाएगी। यह जानकारी मिलने के बाद आवेदनकर्ता को उसी के क्षेत्र में यानी कि उसके निवास स्थारन के आस-पास ट्रेनिंग सेंटर से जोड़ा जाएगा। इस स्कीम में 3 महीने, 6 महीने और 1 साल के लिए रजिस्ट्रेशन होता है। कोर्स पूरा करने के बाद ही सर्टिफिकेट दिया जाता है।