गुरुवार शाम को 24 वर्षीय पूजा ढांडा का सामना नॉर्वे की ग्रेस जैकब भुललन के साथ विश्व कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान हुआ था। बुडापेस्ट, हंगरी में आयोजित इस विश्व प्रतियोगिता के चलते दोनों के बीच कांस्य पदक के लिए यह मैच लड़ा जा रहा था। पूजा ढांडा के पिता अजमेर सिंह इस प्रतियोगिता के दौरान, नॉर्वे की इस पहलवान खिलाडी के पहले के प्रदर्शन को याद करते हुए काफी घबरा गए थे।
हालांकि, ढांडा ने न केवल अपने प्रतिद्वंद्वी की इस पुरानी चाल का करारा जवाब दिया बल्कि खेल में आगे बड़ते हुए और चार अंक भी जीते। 10-7 की जीत हासिल करते हुए भारत के हिस्से में एक कांस्य पदक आ गया।
यह पूजा के लिए इस सीजन का दूसरा बड़ा पदक है, गोल्ड कोस्ट में उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान एक रजत पदक भी जीता है। पूजा से पहले अलका तोमर (2006), गीता (2012) और बबीता फोगाट (2012) ने भारत के लिए इस वर्ग में कांस्य पदक जीते हैं । पुरुषों के फ्रीस्टाइल 65 किलो के वर्ग में बजरंग पुनिया के रजत पदक के प्रदर्शन के बाद चल रही प्रतियोगिता में यह भारत का दूसरा पदक है।
विश्व प्रतियोगिता में ढांडा का प्रदर्शन काफी सराहनीय माना गया है क्योंकि 2015 में लगी घुटने पर चोट के कारण उन्हें दो साल के लिए इस चुनौती में भाग न लेने के लिए विवश कर दिया था। लखनऊ में गीता फोगाट के साथ अभ्यास के दौरान लगी यह चोट के चलते उनकी सर्जरी भी कराइ गई थी। सर्जरी के बाद भी उन्होंने अपना अभ्यास बिस्तर पर ही जारी रखा था। उनका हमेशा यही कहना था कि वे हार नहीं मानेंगी और आगे की प्रतियोगिता में अपना बहतरीन प्रदर्शन भी ज़रूर दिखाएंगी।
पिछले साल पूजा ने दूसरी बार राष्ट्रीय खिताब जीता है। उसे पहले 2013 में उन्होंने विश्व चैंपियन हेलेन मरौलिस से प्रो रेसलिंग लीग में दो बार जीत हासिल करी है। और इस साल पूजा ने भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता है।