शशांक पाण्डेय जोकि सुल्तानपुर से उपाध्यक्ष हैं कहते हैं कि, “मंगेश यादव अपराधी था उसे घर से गिरफ्तार किया गया लेकिन इस तरह से एनकाउंटर करना सही नहीं है उसे कोर्ट ले जाना चाहिए था। यदि सारी जिम्मेदारी पुलिस को दे दी जाएगी तो पुलिस किसी को भी उठाकर एनकाउंटर कर देगी तो कोर्ट की क्या जरूरत है।”
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में मंगेश यादव के एनकाउंटर होने से राजनीति और स्थानीय लोगों में इस मामले को संदेह की नज़र से देखा जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने रविवार 8 सितम्बर को अंबडेकर जिले में जनसभा को सम्बोधित किया जहां उन्होंने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा। सीएम ने कहा, “जब उनके संरक्षण में कोई डकैत पुलिस मुठभेड़ में मारा जाता है, तो वे ऐसे चिल्लाने लगते हैं जैसे किसी ने उनकी दुःखती रग पर हाथ रख दिया हो। आभूषण की दुकान में बैठा ग्राहक किसी भी जाति का हो सकता है।”
एनकाउंटर को बताया फर्जी और जाति आधारित
जिस दिन मंगेश यादव का एनकाउंटर हुआ यानी गुरुवार 5 सितम्बर को समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता अखिलेश यादव ने एनकाउंटर को जातिगत और फर्जी कहा। उन्होंने अपने सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, “नक़ली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गयी। …….. नक़ली एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं। समाधान नक़ली एनकाउंटर नहीं, असली क़ानून-व्यवस्था है।”
लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नक़ली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गयी।
जब मुख्य आरोपी ने सरेंडर कर…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 5, 2024
मंगेश यादव पर कई मामले दर्ज
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने बताया कि मंगेश यादव पर नौ आपराधिक मामले दर्ज हैं और उस पर एक लाख रुपये का इनाम भी था।
स्थानीय लोगों की इस मामले पर प्रतिक्रिया
खबर लहरिया की रिपोर्टर ने सुल्तानपुर के स्थानीय लोगों से इस एनकाउंटर पर बातचीत की। समाचार और खबरों में कितनी सच्चाई और हकीकत है यह स्थानीय लोगों ने बताया। उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकतर हर एनकाउंटर में ऐसी ही कोई कहानी बनाती है कि आरोपी ने जवाबी फायरिंग की जिसके चलते एनकाउंटर करना पड़ा लेकिन इसकी जाँच के बाद ही सच्चाई का पता लग सकता है।
शशांक पाण्डेय जोकि सुल्तानपुर से उपाध्यक्ष हैं कहते हैं कि, “मंगेश यादव अपराधी था उसे घर से गिरफ्तार किया गया लेकिन इस तरह से एनकाउंटर करना सही नहीं है उसे कोर्ट ले जाना चाहिए था। यदि सारी जिम्मेदारी पुलिस को दे दी जाएगी तो पुलिस किसी को भी उठाकर एनकाउंटर कर देगी तो कोर्ट की क्या जरूरत है।”
सौरभ पण्डे ने सत्ता पक्ष के इस तरह के एनकाउंटर को सही बताया और कहा प्रशासन निष्पक्ष होकर कोई कदम उठाता है। अपराधी किसी जाति या धर्म का नहीं होता है इसे जाति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।
ऐसे तो इतिहास में पुलिस ने कई एनकाउंटर किए कुछ एनकाउंटर सही हो सकते हैं लेकिन उन एनकाउंटर का क्या जो बाद में बेगुनाह साबित हुए? अपराधियों को सजा न मिले इसलिए ये कानून व्यवस्था और न्याय प्रणाली बनाई गई है। लेकिन एनकाउंटर के बढ़ते मामले कहीं न कहीं पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े करती है।
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