महाकुंभ 2025 की तैयारियां ज़ोरों पर हैं, और इसे 2019 के कुंभ से भी अधिक भव्य बनाने का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए लगभग ₹6,500 करोड़ का बजट आवंटित किया है। इसमें 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, जो इसे अब तक का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बन सकता है। 2019 के कुंभ में 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आए, और सरकार ने इस पर 4,200 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। यह संख्या और खर्च दोनों अभूतपूर्व हैं, लेकिन क्या यह आयोजन केवल आस्था का प्रतीक है, या इसके पीछे राजनीति, दिखावा और व्यवस्थागत विफलताओं की लंबी कहानी भी छिपी है?
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