खबर लहरिया National कानूनी शब्दकोश: पुलिस स्टेशन में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण शब्द

कानूनी शब्दकोश: पुलिस स्टेशन में इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण शब्द

कानूनी शब्दकोष

लेख- न्याया

ऐसे कई शब्द होते हैं, जिनका इस्तेमाल पुलिस और पुलिस थानों में तो बहुत आम होता है, लेकिन हम और आप जैसे लोगों के लिए नया और मुश्किल। 

 जी हां, आप समझ ही गए होंगे कि हम बात करेंगे, ऐसे ही कानूनी शब्दों की

और जानेंगे उनके मतलबआसान भाषा में। 

कानूनी शब्दों को और अधिक जानने के लिए पढ़ें

आज का पहला शब्द हैतहरीर

तहरीर 

किसी  भी घटना की जानकारी, जो वादी यानी वक्ता, पीड़ित, शिकायतकर्ता या प्रत्यक्षदर्शी पुलिस को लिखित में देता है, उसे पुलिस की भाषा में तहरीर कहते हैं। तहरीर में घटना की जगह, समय और तहरीर लिखवाने वाले का नाम दिया जाता है। तहरीर के आधार पर ही पुलिस एफआईआर लिखती है। यानी तहरीर एफआईआर से पहले पुलिस को दी जाने वाली लिखित जानकारी है। 

अब एफआईआर का जिक्र हुआ है, तो जीरो एफआईआर को भी समझ लेते हैं। 

जीरो एफआईआर 

जीरो एफआईआर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई जा सकती है, चाहे अपराध उस पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में हुआ है या नहीं। पुलिस इस तरह की शिकायत को दर्ज करके इसे उस पुलिस स्टेशन को ट्रांसफर करती है, जिसके क्षेत्र/क्षेत्राधिकार में अपराध हुआ है। 

आइए, अब पुलिस थानों में सबसे ज्यादा सुनाई देने वाला शब्द  पुलिस हिरासत यानी Police Custody को भी समझ लेते हैं।  

पुलिस की हिरासत /Police Custody 

पुलिस हिरासत में आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होता है, और पुलिस को आरोपी से पूछताछ की अनुमति होती है। ये हिरासत तब की  जाती है, जब लम्बी जांच के लिए आरोपी का वहां रहना जरूरी होता है। पुलिस हिरासत में आरोपी पुलिस लाॅकअप में रहता है। 

पुलिस हिरासत के साथ में , न्यायिक हिरासत  को भी समझ लेते हैं, क्योंकि कई बार इन दोनों शब्दों में लोगों को काफी कंफ्यूजन हो जाता है। 

न्यायिक हिरासत /Judicial Custody 

न्यायिक हिरासत या Judicial Custody में आरोपी पुलिस लाॅकअप में नहीं, बल्कि जेल में रहता है। न्यायिक हिरासत में पुलिस को पूछताछ के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ती है। जबकि पुलिस हिरासत में पुलिस कभी भी आरोपी से पूछताछ कर सकती है। 

भारतीय कानून को समझें आसान भाषा में

अब समझते हैं,अपने अगले शब्द  पोस्टमार्टम को

पोस्टमार्टम 

किसी की मौत हो जाने पर मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम किया जाता है। जिसमें शव के शरीर को चीरकर उसकी अंदरूनी जांच की जाती है। पोस्टमार्टम मौत के 6 से 10 घंटे के अंदर हो जाना चाहिए, देरी होने पर पोस्टमार्टम से मौत का सही कारण पता करना मुश्किल हो जाता है। 

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 194(3) की तहतकिसी भी असाधारण मौत की वजह का पता लगाने के लिए पुलिस पोस्टमार्टम करा सकती है। 

स्टमार्टम को समझने के साथ ही हम विसरा शब्द को भी समझ लेते हैं

विसरा  

कई बार पोस्टमार्टम में भी मौत की वजह का सही पता नहीं लग पाता है, तब ऐसी स्थिति में विसरा जांच करवाई जाती है।  विसरा जांच में मृतक के खास अंगों जैसे आंत, दिल, किडनी, लीवर की जांच की जाती है। इसको कराने के लिए पुलिस अनुमति की जरूरत होती है। 

अगला शब्द है, पंचनामा

पंचनामा  

हर क्राइम सीन (यानि जहां अपराध हुआ था) पर पुलिस अपराध की जानकारी को पांच लोगों की मौजूदगी में बताई गई जानकारी के रूप में लिखती है। ये पांच लोगों की मौजूदगी को ही पंचनामा कहा जाता है। पंचनामा  करते समय कम से कम उपनिरीक्षक स्तर का पुलिस अधिकारी वहां होना चाहिए।  

अगला शब्द है–  बयान दर्ज करना 

बयान दर्ज करना/statement record 

किसी घटना से जुड़ी जानकारी को लिखित या वीडियो के रूप में दर्ज कराना ही बयान दर्ज करना है। इन बयानों को कोर्ट में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। 

अब बात करते हैं, पुलिस डायरी की और जानते हैं कि पुलिस डायरी, हमारी और आपकी डायरी से कैसे अलग होती है। 

पुलिस डायरी 

पुलिस डायरी में जांच करने वाला पुलिस अधिकारी हर रोज की अपनी जांच की कार्यवाही को लिखता है। इसमें अपराध की सूचना मिलने का समय, जांच शुरू और बंद करने के समय से लेकर जांच के दौरान दौरा किए गए स्थानों और जांच से जुड़ी सभी जानकारियों के बारे में लिखा होता है। 

आपको बता दें कि मुकदमें की सुनवाई के समय कोर्ट पुलिस डायरी की मांग कर सकती है, लेकिन इस डायरी को सबूत  के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकती है। 

आखिर में आरोप पत्र यानी चार्जशीट को भी समझ लेते हैं। 

आरोप पत्र/Charge Sheet 

आरोप पत्र, आपराधिक मामले में पुलिस द्वारा तैयार की गई आखिरी रिपोर्ट होती है। इसमें पुलिस जांच के बाद आरोपों का ब्यौरा और गवाहों के बयान भी होते हैं। साथ ही इसमें सबूतों के आधार पर निकाले गए निष्कर्ष यानी नतीजों को भी लिखा जाता है।

हम उम्मीद करते हैं कि दी गई जानकारी से अब आप पुलिस और पुलिस थानों में यूज होने वाले शब्दों को काफी हद तक समझ गए होंगे।  

आपको बता दें, दोस्तोंदी गई जानकारी हमारे सहयोगी संगठन न्याया द्वारा दी गई है। आप इस तरह की जानकारी और भारतीय कानून को समझने के लिए न्याया की वेबसाइट पर जा सकते हैं। 

जमीनी खबरों को जानने के लिए खबर लहरिया के साथ बने रहें।

धन्यवाद!

 

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