सीपीआई नेता बृंदा करात ने कहा, “प्रधानमंत्री भारत के नागरिक हैं। प्रधानमंत्री भारत के नागरिकों से ऊपर नहीं हैं। प्रधानमंत्री भारत के कानून से ऊपर नहीं हैं। प्रधानमंत्री को भारत के कानूनों को स्वीकार करना होगा। जब प्रधानमंत्री भारत के उन कानूनों का उल्लंघन करते हैं जो समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने के खिलाफ हैं, एक समुदाय के बीच नफरत फैलाने के खिलाफ हैं, उनके खिलाफ कानून के तहत कार्यवाही की जानी चाहिए।”
पीएम मोदी द्वारा राजस्थान में दिए गए चुनावी भाषण को लेकर चुनाव आयोग ने किसी भी तरह की टिप्पणी देने से इंकार कर दिया। बांसवाड़ा में रविवार को प्रधानमंत्री के भाषण से संबंधित सवालों पर चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा, ”हम टिप्पणी करने से इनकार करते हैं (We decline comment)।”
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह लोगों की संपत्ति को मुसलामानों में वितरित कर देगी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का हवाला देते हुए पीएम ने कहा कि उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यक समुदाय का पहला अधिकार है।
सीपीआई नेता बृंदा करात का पीएम के भाषण पर बयान
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की नेता बृंदा करात (Brinda Karat) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांसवाड़ा में बयान के बाद भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा, पीएम मोदी के शब्दों ने भारतीय कानून का उल्लंघन किया है और सांप्रदायिक शत्रुता व नफरत फ़ैलाने वाला भाषण दिया है। इसके बावजूद भी चुनाव आयोग किसी भी तरह की कार्यवाही करने विफल रही है।
यह भी कहा कि,”प्रधानमंत्री भारत के नागरिक हैं। प्रधानमंत्री भारत के नागरिकों से ऊपर नहीं हैं। प्रधानमंत्री भारत के कानून से ऊपर नहीं हैं। प्रधानमंत्री को भारत के कानूनों को स्वीकार करना होगा। जब प्रधानमंत्री भारत के उन कानूनों का उल्लंघन करते हैं जो समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने के खिलाफ हैं, एक समुदाय के बीच नफरत फैलाने के खिलाफ हैं, उनके खिलाफ कानून के तहत कार्यवाही की जानी चाहिए।”
करात ने कहा, “इसमें चुनाव आयोग की भूमिका पूरी तरह से चौंकाने वाली है। अगर वे प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्यवाही नहीं करते हैं तो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता क्या है?”
रिपोर्ट के अनुसार, सीपीआई (एम) नेता ने नफरत भरे भाषण और सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की है। करात ने बताया कि उनकी शिकायत को शुरू में पहले एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में अस्वीकार कर दिया गया था, जिससे उन्हें इसे सीधे दिल्ली पुलिस आयुक्त को भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा।
बता दें, केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल को एक ही चरण में मतदान होने हैं। मतगणना 4 जून को होगी।
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