खबर लहरिया Blog PM Modi Birthday: फिल्म, अख़बार, सोशल मीडिया और सितारे, मोदी का जन्मदिन बना BJP का PR अभियान

PM Modi Birthday: फिल्म, अख़बार, सोशल मीडिया और सितारे, मोदी का जन्मदिन बना BJP का PR अभियान

मोदी फिल्म ‘चलो जीते हैं’ दोबारा रिलीज़, स्कूलों में इसे दिखाने का आदेश, मीडिया और बॉलीवुड से शुभकामनाओं की बाढ़ क्या कहती है? 

Prime Minister Narendra Modi

 प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के धर में, 17 सितंबर 2025 (फोटो साभार: सोशल मीडिया)

लेखन – हिंदुजा 

शिक्षा मंत्रालय का आदेश

शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति को अपने-अपने स्कूलों में ‘चलो जीते हैं’ फिल्म दिखाने के निर्देश देने को कहा है।ये फिल्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचपन की घटनाओं से प्रेरित है। ‘चलो जीते हैं’ न केवल स्कूलों में बल्कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनुसार 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक पूरे देश में दोबारा रिलीज़ हो रही है। 

​​‘चलो जीते हैं’ के निर्माता महावीर जैन ने कहा, 

“इस आंदोलन में एक गहरी और शक्तिशाली संदेश छुपा हुआ है। यह लाखों युवा मनों को हर काम और हर व्यक्ति का सम्मान और मूल्य समझने के लिए प्रेरित करेगा। यह निःस्वार्थता, सहानुभूति और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य जैसे कालजयी मूल्यों को मजबूत करता है- ये हमारे प्रधानमंत्री को सच्चा सम्मान है।”

मंत्रालय के मुताबिक, इसे स्कूल में दिखाने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि, 

“यह युवा विद्यार्थियों को चरित्र, सेवा और जिम्मेदारी जैसे विषयों पर सोचने के लिए प्रेरित करेगी। यह फिल्म नैतिक चिंतन का एक केस स्टडी भी बन सकती है और सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक हो सकती है, जैसे सहानुभूति विकसित करना, आत्म-चिंतन करना, आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देना और प्रेरणा प्राप्त करना।”

प्रतीकात्मक रिलीज़ की टाइमिंग और विरोधाभास

हालाँकि, फिल्म को दोबारा रिलीज़ करने की तारीख़ पर नज़र डालें तो कारण साफ़ दिखाई देता है- 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन था। और जहाँ एक तरफ शिक्षा मंत्रालय आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री की प्रेरणादायक फिल्म दिखाना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार ने 2023 में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘India: The Modi Question’ पर प्रतिबंध लगाया था, जो 2002 के गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका की जांच करती है।

जो दिखता है वो बिकता है 

Front page of Indian newspapers on 17 September

17 सितम्बर को भारत के अखबारों का पहला पन्ना।(फोटो साभार: @dhruv_rathee)

इधर, दिल्ली में सीनियर AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दुर्गा पंडालों के आयोजकों से प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके जवाब में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इसका खंडन किया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पंडालों में फोटो लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक “सेवा पखवाड़ा” चलाएगी।

17 सितंबर को इंडियन एक्सप्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए पूरे पेज में शुभकामनाएँ छापी। केवल इंडियन एक्सप्रेस ही नहीं, बल्कि जनसत्ता, लोकसत्ता, अमर उजाला, द हिन्दू, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान टाइम्स आदि अखबारों ने अपने पहले पेज पर यही खबर छापी और उनके काम की सराहना करते हुए लेख छापे गए थे। 

बॉलीवुड की भागीदारी

मोदी के जन्मदिन पर बॉलीवुड के बड़े कलाकारों जैसे आलिया भट्ट, आमिर खान, शाहरुख खान, र माधवन और कई अन्य ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया। इन वीडियो में केवल जन्मदिन की शुभकामनाएँ ही नहीं दी गईं, बल्कि यह भी दिखाने की कोशिश की गई कि मोदी ने देश की तरक्की के लिए क्या किया और कैसे वे चाहते हैं कि भारत उनकी अगुवाई में आगे बढ़े।

यह सब करने का उद्देश्य स्पष्ट है: जो दिखता है, वही बिकता है। यह बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है। इसी तरह कोविड के दौरान राशन की बोरियों में मोदी की तस्वीर, कोविड प्रमाणपत्र में मोदी की तस्वीर और बच्चों के स्कूल बैग में मोदी की तस्वीर शामिल की गई। इसका मकसद याद दिलाना था कि मोदी ने आपके लिए यह सब किया, भले ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी नीतियों में कांग्रेस का योगदान रहा हो, भले ही कोविड में हजारों जानें गई हों, या भले ही सरकारी स्कूलों की जर्जर छत गिरने  के कारण 7 बच्चों की जान चली गई हो।

बीजेपी की रणनीति

नरेंद्र मोदी की पीआर टीम ने डिजिटल मीडिया, प्रिंट और टीवी का इस्तेमाल करके उनकी लोकप्रियता बनाये रखना चाहती है। इससे यह संदेश भेजने की कोशिश है कि मोदी किनके द्वारा पसंद किए और समर्थन किए जा रहे हैं-छोटे बच्चों से लेकर बड़े उद्योगपतियों तक। इस तरह, हर वर्ग का व्यक्ति यह संदेश देता है या पाता है कि मोदी अच्छे हैं और उन्हें सम्मान मिलना चाहिए।

इससे यह धारणा बनती है कि लोग अपने समुदाय या पसंदीदा शख्सियत का उदाहरण देकर कह सकते हैं-‘देखो, वो भी मोदी जी की तारीफ़ कर रहे हैं। मतलब मोदी जी अच्छे हैं और हमें उनका सम्मान करना चाहिए।

लेकिन ये अभिव्यक्ति की आज़ादी के खिलाफ है, ये एक नियंत्रित लोकतंत्र की तरह है जिसमे केवल सब दिखाया जा रहा है जो सरकार को खुश कर रहा हो। इससे दिक्कत है पत्रकरों को, दूसरे पार्टी के समर्थकों को- उन लोगों के लिए जो मोदी की नीतियों पर सवाल उठाना चाहते हैं जो की उनका काम है। जनता को एक तरफा चीज़ दिखाकर या केवल प्रशंसा दिखाकर उनको सच्चाई से दूर रखना है जो की लोक तंत्र में ग़लत है। कई इंटरव्यूज़ में देखा गया है कि मुश्किल सवाल पूछे जाने पर मोदी गुस्सा हो जाते हैं और चाहते हैं कि सभी उनकी तारीफ करें। आलोचना उनके हिसाब से केवल विपक्ष के लिए होती है, जैसे राहुल गांधी और नेहरू। बीजेपी की रणनीति है कि सोशल मीडिया, TV, डिजिटल मीडिया, प्रसिद्ध लोगों, दिखने वाली हर चीज़ के ज़रिये नरेंद्र मोदी की सीधे मार्केटिंग कि जाती रहे। 

 

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