पीएम मोदी ने कहा कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में पहले से ही 7.5 लाख पंजीकृत आयुष प्रैक्टिशनर योगदान दे रहे हैं। आगे कहा कि पारंपरिक जड़ी-बूटियों जैसे अश्वगंधा, हल्दी और काली मिर्च को उच्च प्रभाव वाले वैज्ञानिक अध्ययन के ज़रिये से मान्यता देने की ज़रूरत है। यह भी कहा कि पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों की प्रयोगशाला में मान्यता न सिर्फ इन जड़ी-बूटियों का मूल्य बढ़ाएगी, बल्कि वह इनके लिए एक महत्वपूर्ण बाज़ार के रूप में भी उभर कर आएगी।
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नई दिल्ली के ऑल इंडिया आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं पर बात करते हुए पीएम मोदी की तस्वीर (फोटो साभार – पीटीआई)
पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार, 29 अक्टूबर को धन्वंतरि जयंती और नौवें आयुर्वेद दिवस पर 12,850 करोड़ रूपये की स्वास्थ्य संबंधी कई पहलों का वर्चुअल उद्घाटन नई दिल्ली के ऑल इंडिया आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में
किया।
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी ने कहा कि किसी राष्ट्र की प्रगति उनके नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ी होती है। यह कहने के बाद उन्होंने अपनी सरकार की नीति के पांच प्रमुख स्तंभों के बारे में बताया:-
1. रोगों की रोकथाम
2. बीमारियों का शुरू में पता लगाना
3. मुफ्त और सस्ता उपचार एवं दवाएं
4. छोटे शहरों में डॉक्टरों की उपलब्धता
5. स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीक का विस्तार
13 हज़ार करोड़ की कई योजनाओं की घोषणा
पीएम मोदी ने 13,000 करोड़ रूपये से अधिक की लागत वाली कई परियोनाओं का भी उद्घाटन किया। इसमें आयुष स्वास्थ्य योजना के तहत चार विशेष केंद्र,ड्रोन के इस्तेमाल से स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार,ऋषिकेश के एम्स में हेलिकॉप्टर सेवाएं, नई दिल्ली और बिलासपुर के एम्स में नई बुनियादी सुविधाएं, देश के पांच अन्य एम्स में सेवाओं का विस्तार, चिकित्सा कॉलेजों की स्थापना, नर्सिंग कॉलेजों की शुरुआत, और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।
पीएम मोदी ने दावा करते हुए कहा कि सरकार ई-संजीवनी योजना के तहत स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और नागरिकों के पैसे बचाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। इस योजना के तहत 30 करोड़ से अधिक लोगों ने ऑनलाइन डॉक्टरों से सलाह ली है।
पारंपरिक जड़ी-बूटियों को दी जाए मान्यता
पीएम मोदी ने कहा कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में पहले से ही 7.5 लाख पंजीकृत आयुष प्रैक्टिशनर योगदान दे रहे हैं। आगे कहा कि पारंपरिक जड़ी-बूटियों जैसे अश्वगंधा, हल्दी और काली मिर्च को उच्च प्रभाव वाले वैज्ञानिक अध्ययन के ज़रिये से मान्यता देने की ज़रूरत है। यह भी कहा कि पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों की प्रयोगशाला में मान्यता न सिर्फ इन जड़ी-बूटियों का मूल्य बढ़ाएगी, बल्कि वह इनके लिए एक महत्वपूर्ण बाज़ार के रूप में भी उभर कर आएगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी द्वारा भारत के पहले ऑल इंडिया आयुर्वेद संस्थान के दूसरे चरण का भी उद्घाटन किया गया है। इसमें मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच और सिवनी में तीन चिकित्सा कॉलेज शामिल हैं। उनके द्वारा पांच नर्सिंग कॉलेजों और 21 क्रिटिकल केयर ब्लॉकों की नींव भी रखी गई।
क्रिटिकल केयर ब्लॉक ऐसी स्वास्थ्य सुविधाएं होती हैं जिसमें गंभीर बीमारी या स्थिति वाले मरीजों की विशेष देखभाल की जाती है और उपचार दिया जाता है। इनमें विशेष उपकरण और अनुभवी डॉक्टर होते हैं, जो मरीजों की स्थिति की लगातार निगरानी करते हैं और जरूरी चिकित्सा सहायता प्रदान करते हैं।
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत परियोनाओं का उद्घाटन
पीएम मोदी द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहलों (Make in India initiatives) को बढ़ावा देते हुए गुजरात के वापी, तेलंगाना के हैदराबाद, कर्नाटक के बेंगलुरु, आंध्र प्रदेश के काकीनाडा और हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ में चिकित्सा उपकरणों और थोक दवाओं के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive (PLI) के तहत पांच परियोजनाओं का उद्घाटन किया। दी गई जानकारी के अनुसार, ये यूनिट्स उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा उपकरण, जैसे शरीर के इंप्लांट और क्रिटिकल केयर उपकरण के साथ महत्वपूर्ण थोक दवाएं बनाएंगी।
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