पितृ पक्ष: इस समय पितृ पक्ष चल रहे हैं और इसी समय लोग अपने पूर्वजों को पानी देते हैं और श्राद करते हैं। पुरखों को खुश करने के लिए कौंवों को खिलाते भी हैं। यहाँ तक कि लोग पिंड दान के लिए गया भी जाते है। इसकी चर्चा फिलहाल चारों तरफ हो रही है। इस बार के एपिसोड में एडिटर इन चीफ कविता बुंदेलखंडी बात करेंगी जिन्दा मां-बाप और मरे हुए माँ बाप की सेवा, ढोंग, दिखावा और अंध विश्वास के बारे में।
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‘ज़िंदा न परसै माड़ ,मरे के बाद परसै खाड़’, समाज का ढोंग देख-देखकर बहुत दुःख होता है कभी गुस्सा आता और कभी-कभी कभार हंसी भी आती है। जब माँ-बाप बूढ़े हो जाते हैं तो ज़्यादातर औलादें अपने माँ-बाप की सेवा नहीं करते हैं। उन्हें खाना नहीं देते हैं। यहाँ तक कि उनकी दवाई भी नहीं करवाते हैं। बूढ़े बुजुर्गों के साथ में मारपीट और मानसिक हिंसा करते हैं। कई बार घर से निकाल देते हैं। बहुत सारे पढ़े-लिखे और समझदार लोग तो अपने माँ-बाप को वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं और वापस पलट कर नहीं देखते हैं कि वो ज़िंदा हैं भी या नहीं।
हमने हाल ही में वृद्ध दिवस पर एक स्टोरी भी की जिससे पता चला कि कितनी दुःखदाई जिंदगी जीते हैं बुजुर्ग। अपनी ज़मीन,घर और धन दौलत होने के बाद भी उनको नर्क की जंदगी जीनी पड़ती है। उनके मरने के बाद उनकी तेरहवीं ज़रूर करते हैं। पितृ पक्ष मनाते हैं और पिंड दान करते हैं। तो देखिये ये पूरा एपिसोड और जानिये हमारी एडिटर इन चीफ की इस पर क्या राय है।
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