लोकडाउन के बाद से लोग मास्क लगा लगा कर थक गए और शोशल मीडिया में लिखने के लिए मजबूर हो गए कि आखिरकार मास्क कब तक?? अब उन्होंने ऐसी बात करके अपने को खुद सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। बहुत लोग उनसे पूंछ रहे हैं कि जो लोग यह कहते नहीं थकते की महिलाओं को पर्दे में ही रहना चाहिए वह लोग जरा सोचें कि जीवन तक महिलाएं पर्दा करती आई हैं भला वह किसी रहती होंगी। उनको भी खुल कर सांस लेना है, फटफटाहट से निकलना चाहती हैं। वह भी मुस्काना चाहती है और उस अनुभव को देखकर महसूस कर सकती हैं लेकिन यह समाज महिलाओं को धकेलता है जबकि वह जानते हैं कि ये क्षमता सिर्फ महिलाओं के ही अंदर जबरन अहसास दिलाना क्यों है। हमने इस मामले को लेकर कवरेज किया कि मास्क लगाने को लेकर लोगो के क्या अनुभव है। उनको कैसा लग रहा है मास्क लगाने का। सबने इसको एक सरदर्द बताया। लोग बहुत उलझन महसूस करते हैं लेकिन कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए यह बहुत जरूरी है।