‘शौच जाओ तो ऐसे घूरते हैं जैसे कभी औरत नहीं देखी’ – यह शब्द है ईंट भट्ठे पर काम करने वाली महिला के। वह कहती हैं दिन में शौचालय जाना हुआ तो नहीं जा सकते, क्योंकि जगह नहीं होती इसलिए शौच के लिए रात का इन्तजार करना पड़ता है, जो काफी तकलीफदेह है।
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