आवास व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। हालांकि,इसके बावजूद भी हर व्यक्ति के पास यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। यूँ तो सरकार ने गरीब और आवास रहित लोगों के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की शुरुआत की है। लेकिन, जैसा की योजना के नाम में ‘ग्रामीण‘ शब्द का इस्तेमाल किया गया है, आवास उन ग्रामीण इलाकों और कस्बों में पहुंचा ही नहीं। जो अब भी अपना खुद का आवास होने का सपना देखते हैं। लेकिन नींद खुलते ही सपना भी योजना के नाम की तरह झूठा हो जाता है। हाँ,कुछ लोग है जिन्हें आवास मिले हैं। लेकिन अभी भी लाखों लोग आवास की सुविधा से वंचित है। इस आर्टिकल के ज़रिये हम आपको उत्तरप्रदेश के जिले,कस्बे और गाँवों के हालात बताएंगे। जहां लोग खुद आवास ना होने की परेशानी बता रहे हैं।
आवास को तरसते लोग
बाँदा जिले के नरैनी तहसील में खबर लहरिया द्वारा 23 फरवरी 2021 को लोगों को आवास ना मिलने की समस्या को लेकर रिपोर्टिंग की गयी थी। जानकारी के अनुसार, गाँव के व्यक्ति मुन्ना का कहना है कि वह लगभग एक साल से आवास के लिए चक्कर लगा रहे हैं। उन्होंने आवास के लिए ऑनलाइन फॉर्म भी भरा। लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें आवास नहीं दिया गया। जबकि उनका नाम सूची में भी शामिल है। वह कहते हैं कि गाँव के प्रधान द्वारा कहा गया था कि उन्हें आवास मिल जाएगा। फिर भी कुछ नहीं हुआ। उनके अनुसार, उनके साथ के लोग जिनका भी नाम सूची में था। सबको आवास मिल गया है। बस वही रह गए हैं। इसलिए, इस बार उन्होंने आवास की मांग के लिए डीएम को पत्र देने का सोचा है। उनका कहना है कि प्रधान द्वारा एक घर में तीन से चार लोगों को आवास दिया गया। साथ ही कई बार तो अपात्र लोगों को पात्र कर उन्हें आवास दे दिया जाता है।
14 फरवरी 2021 को की गयी खबर लहरिया की रिपोर्ट में दिखाया गया कि जिला महोबा ब्लाक जैतपुर कस्बा बेलाताल (जैतपुर) तहसील कुलपहाड़ कोतवाली कुलपहाड़ के रहने वाले कई लोगों की शिकायत है कि उन्हें अभी भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। आवास ना होने की वजह से वह पन्नी डालकर रहने के लिए मज़बूर हैं। जैतपुर कस्बे में रहने वाली महिला अनीता का कहना है कि वह अपने पांच बच्चों के साथ टूटे हुए छप्पर में रहती है। वह खाने के लिए पैसे जुटाए या मकान के लिए, यह उनके लिए एक बहुत बड़ी समस्या है।
जैतपुर कस्बे की ही राजरानी का कहना है कि क्या पता कब कच्चा मकान टूट कर गिर जाये और सब उसके नीचे दब जाए। कच्चे मकानों का क्या भरोसा। वह लगभग पांच सालों से आवास की मांग कर रही हैं। लेकिन फिर भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं की गयी है। रामदेवी कहती हैं कि छत से पानी टपकता रहता है और ऐसे में नींद भी नहीं आती। गौरी शंकर का कहना है कि उनका आवास में नाम तो है पर आवास नहीं मिला। वह कहते हैं पन्नी डालकर रहने में भी पन्नी की खरीद में उनके हज़ार से दो हज़ार रूपये लग जाते हैं।
जैतपुर ब्लॉक के बीडीओ बृज किशोर कुशवाहा का इस पर कहना है कि जैसे की सरकार ने कहा था कि साल 2022 के तहत सबको आवास दिए जायेंगे। उसी अनुसार साल 2016 से 2020 तक 17 लाख लोगों को आवास उपलब्ध कराये गए हैं। वह कहते हैं कि इन सालों में जिन्हें भी आवास दिए गए हैं वह 2011 की जनगणना सूची और पात्रता के अनुसार छाँटकर दिए गए थे। वहीं साल 2018 में नामंकित लोग व मोबाइल से किये हुए सर्वे में जिनके नाम है, उन्हें अब आवास दिया जाएगा। लेकिन पात्रता की जांच के बाद। लेकिन बीडीओ द्वारा कहीं भी इस बात का जवाब नहीं दिया गया कि जिन लोगों का नाम में सूची है उन्हें अपने आवास के लिए और कितना लंबा इंतज़ार करना होगा।
9 फरवरी 2021 की खबर लहरिया की रिपोर्ट में जिला ललितपुर गाँव खजुरिया के आवास ना होने की समस्या को उजागर किया गया। रामदयाल का दस सालों से नाम आवास की सूची में है लेकिन उन्हें नहीं पता की आवास ना मिलने पर उन्हें किससे शिकायत करनी चाहिए। घर कच्चा है और टूटा हुआ भी है। बिल्कुल उनकी उम्मीद की तरह। बिरधा के खंड विकास अधिकारी दीपेंद्र यादव ने कहा कि उन्हें तो मामले का पता ही नहीं है कि लोगों को आवास ही नहीं मिले।
अभी तक जितने भी जिलों के गाँवों और कस्बों को देखा गया,उसमें यही सामने आया कि जिन लोगों के नाम सूची में मौजूद है या नहीं है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। किसी भी अवस्था में लोगों को आवास नहीं दिए गए हैं। वहीं यह बात भी सामने आयी है कि आवास के लिए पात्र लोगों को अपात्र करके अन्य लोगों को आवास दे दिया गया। वहीं जिन्हें आवास मिलना चाहिए तो वह लोग कच्चे और पन्नी से बने घरों में अपना गुज़ारा कर रहे हैं। लेकिन घर ढह जाने का डर उनके मन में हमेशा समाया रहता है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना क्या है ?
22 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना‘ की शुरुआत की गयी थी। जिसके साथ यह लक्ष्य रखा गया था कि साल 2022 तक सभी पात्र लोगों को घर दिए जाएंगे। सरकार द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना 2021 के तहत समतल भूमि पर पक्का घर बनाने के लिए केंद्र सरकार 1,20 000 रूपये और पहाड़ी इलाके में पक्के घर के निर्माण के लिए 1,30,000 रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।
योजना की पात्रता
– योजना के अंतर्गत वही ग्रामीण क्षेत्र के लोग आवेदन कर सकते है जिनका नाम 2011 के सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना सूची में होगा |
– ऐसा परिवार जिनमे 16 से 59 वर्ष की आयु का कोई वयस्क सदस्य ना हो।
– महिला मुखिया वाले परिवारों में 16 से 59 वर्ष की आयु का कोई वयस्क सदस्य नहीं होना चाहिए।
– ऐसे परिवार जिसमे 25 वर्ष से अधिक आयु का कोई साक्षर ( पढ़ा-लिखा) वयस्क सदस्य नहीं होना चाहिए ।
योजना के लिए ज़रूरी दस्तावेज़
– आधार कार्ड
– पहचान पत्र
– बैंक खाता, जो की आधार कार्ड से लिंक हो
– मोबाइल नंबर
– पासपोर्ट साइज फोटो
इस तरह से करें आवदेन
पहला चरण
– सबसे पहले आप प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की इस https://pmayg.nic.in/netiay/home.aspx आधिकारिक साइट पर जाना होगा।
– इसके बाद आपको मांगी गयी जानकारी भरनी होगी।
– जानकरी भरने के लिए यहां क्लिक करें https://pmayg.nic.in/netiay/loginmaster.aspx
– फिर आपके सामने आवेदन के लिए ‘पीमय रूरल‘ पेज खुलेगा। इसके बाद आपको लॉग इन करना होगा।
– लॉग इन के लिए आपको पंचायत और ब्लॉक स्तर से मिले हुए यूजर नाम और पासवर्ड की मदद से पंजीकरण करना होगा।
– एक बार लॉग इन करने के बाद आप चाहें तो अपनी सुविधा के अनुसार पासवर्ड भी बदल सकते हैं।
दूसरा चरण
– इसके बाद आपको पीमय ऑनलाइन लॉगिन पोर्टल पर 4 विकल्प दिखाई देगा। जिसमें से आपको पहले वाले विकल्प ‘पीमय जी‘ (PMAY G) ऑनलाइन पंजीकरण पर क्लिक करके फॉर्म भरना होगा।
– पीमय जी (PMAY G) के पंजीकरण फॉर्म को खोलने पर आपको उसमें अपनी जानकारी, खातें की जानकरी, लाभार्थी पंजीकरण की सभी सूचनाएं और सबंधित अधिकारी की सूचना भरनी होगी।
तीसरा चरण
– इसमें आपको प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के आवेदन फॉर्म को संशोधित करने के लिए पोर्टल को यूज़र पासवर्ड की मदद से लॉगिन करना होगा।
– फिर पंजीकरण फॉर्म को संशोधित करने के लिए पंजीकरण फॉर्म पर भी क्लिक करें।
इस तरह से आप योजना के लिए अपना आवेदन फॉर्म भर सकते हैं।
सहायता के लिए
अगर आपको योजना का फॉर्म भरने या किसी और चीज़ में समस्या आ रही है तो आप सरकार द्वारा उपलब्ध कराये इस नंबर या ईमेल आईडी के ज़रिये अपनी समस्या संबंधित अधिकारियों तक पहुंचा सकते हैं।
टॉल फ्री नंबर –1800116446
ईमेल आईडी – support-pmayg@gov.in
जिस उद्देश्य के साथ योजना की शुरुआत की गयी, उसमें अभी तक बस यही देखने को मिला कि वह योजना ग्रामीणों के लिए पूरी तरह से लाभदायक साबित होने में असफल रही है। किसी का सूची में नाम है, किसी का नहीं है तो किसी के हिस्से का आवास अपात्र लोगों को दिया जा रहा है। आखिर, सालों से कच्चे मकानों में रह रहे लोगों का पक्के मकान में रहने का सपना कब पूरा होगा?
द्वारा लिखित – संध्या